समय जब भी असमय
छीन लेता है
कुछ मासूम चेहरों से
मुस्कराहट,
आवृत सा कुछ होता है,
जो बनता है मौन ताकत …… !!
धीरे धीरे कड़ी जुड़ती है ,
इस मौन ताकत में ,
प्राची के पट खुलते ही ,
होने लगता है शोर
इस ताकत का
तब टूटने लगता है मौन …
उदासी का ...!
आहत मन सुनता है
आहट जीवन की …!!
और चल पड़ती है ज़िन्दगी फिर......!!
तब सुनाई देती है ,
वही प्रार्थनारत आवाज़ें ,
अगर मेरे शब्दों में ताकत है
अगर मेरी प्रार्थना में बल है
तो दर्द लेकर भी ह्रदय में अपने,
सुनकर मेरे शब्दों की सदा ,
तुम्हें फिर उठना होगा ,
तुम्हें फिर हँसना होगा …
ओ मासूम ज़िन्दगी। ....!!
छीन लेता है
कुछ मासूम चेहरों से
मुस्कराहट,
आवृत सा कुछ होता है,
जो बनता है मौन ताकत …… !!
धीरे धीरे कड़ी जुड़ती है ,
इस मौन ताकत में ,
प्राची के पट खुलते ही ,
होने लगता है शोर
इस ताकत का
तब टूटने लगता है मौन …
उदासी का ...!
आहत मन सुनता है
आहट जीवन की …!!
और चल पड़ती है ज़िन्दगी फिर......!!
तब सुनाई देती है ,
वही प्रार्थनारत आवाज़ें ,
अगर मेरे शब्दों में ताकत है
अगर मेरी प्रार्थना में बल है
तो दर्द लेकर भी ह्रदय में अपने,
सुनकर मेरे शब्दों की सदा ,
तुम्हें फिर उठना होगा ,
तुम्हें फिर हँसना होगा …
ओ मासूम ज़िन्दगी। ....!!
हृदय से आभार रविकर जी ....!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव .........
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार 02 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
हृदय से आभार यशोदा ....!!
Deleteप्रार्थना में अकूत बल है...जो जिन्दगी के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट लाने में सक्षम है...सुंदर भाव अनुपमा जी !
ReplyDeleteThats life :)
ReplyDeletebahut hi sundar kavita hai :) Very beautiful!!
Thats life :)
ReplyDeletebahut hi sundar kavita hai :) Very beautiful!!
जिन्द्स्गी की और आशा भरी नज़र से देखती रचना ... प्रेरित करते भाव ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की 900 वीं बुलेटिन, ब्लॉग बुलेटिन और मेरी महबूबा - 900वीं बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहृदय से आभार सलिल जी ....!!
ReplyDeleteToo Good.Loved it
ReplyDeleteToo Good.Loved it
ReplyDeleteये निराशा के प्रहर बीतेंगे दुख की शिकनें दूर कर फिर प्रसन्नता और उछाह छायेगा - प्रार्थना में बहुत बल है !
ReplyDeleteनिराशा की रात से आशा के उजाले की ओर.. सुंदर कविता
ReplyDeleteAise aahwan zindgi ko sunne hi honge!
ReplyDeleteबहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता....
ReplyDeleteअगर मेरे शब्दों में ताकत है
ReplyDeleteअगर मेरी प्रार्थना में बल है
तो दर्द लेकर भी ह्रदय में अपने,
सुनकर मेरे शब्दों की सदा ,
तुम्हें फिर उठना होगा ,
तुम्हें फिर हँसना होगा …
ओ मासूम ज़िन्दगी। ....!!
बहुत सुन्दर भाव
अतुलनीय
सुन्दर भाव ........
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti ...
ReplyDeleteआशा का संचार करती सुन्दर पंक्तियाँ |
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteदृढसंकल्पित हो कर्म-अभिरत चलने को प्रेरित करती हुई कविता.
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