नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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10 January, 2012

क्षितिज की तरह ...बहुत दूर हो गयी हूँ मैं ......!

आज सोच में डूबी ..
सोचती हूँ ..क्या हूँ  मैं ...?
जो मैं हूँ वो हूँ ....या ...?
तुम्हारी सोच हूँ मैं ....?

हाँ ... तुम्हारी सोच ही तो  हूँ .......
जब खुश हो तुम...
नीले आसमान पर ..
खूबसूरत रंगों की तरह ...
हंसती मुस्काती ...
तुम्हारे सुंदर भावों की तरह ...
कितनी सुंदर दिखतीं हूँ मैं ...
अपने भाव देखते हो तुम मुझमे ..

क्षितिज ....!!
क्षितिज की तरह.........
हवा सी बहती हुई  ... ....
मन को ख़ुशी देती हुई ... ...

जब जीने लगते हैं..
मुझमे तुम्हारे विचार ..
और  नहीं  चल  पाती  मैं -
 तुम्हारे  अनुसार ......



तब बदल जाते  हो  तुम ..
आसमान पर
बदले हुए रंगों की तरह ...
तस्वीर बदल जाती है मेरी,
तुम्हारे मन में  भी ......
तुम्हारी सोच की तरह बदली  हुई ....!!

अपनी सोच के सांचे में..
अपने मन के ढांचे में ढाला है तुमने मुझे ...
हाँ यथार्थ नहीं ..
तुम्हारी बदली हुई सोच
हो गयी  हूँ मैं अब ....!!
यथार्त में तो ..
मैं जैसी कल थी ...
वैसी ही आज भी हूँ ...
मैं नहीं बदली ...
अब  सोच बदल गयी है तुम्हारी....
इसीलिए ...
अब दृष्टि भी बदल गयी है तुम्हारी ..
तभी  तो  मैं हूँ दूर ...
तुम  से दूर ...!!

अभी भी ..
क्षितिज  की तरह ही ...
हवा सी बहती हुई ...
बहुत दूर हो गयी हूँ मैं ......

27 November, 2011

एक दिन................!!

इस  धरा पर ....
कई साल पहले ...
जन्मी थी एक   दिन  ...

माँ का स्पर्श ..याद है मुझे ...
आया आया ..दही वाला आया ..
सुन सुन कर ...
थाम कर उंगली उनकी ..
खिलखिलाकर ...
चली थी एक  दिन....

माँ ने चलाना ही सिखाया ...
और  कुछ ...
और बहुत कुछ ..पा जाने की इच्छा जब जागी ....
दौड़ना ..मैंने सीख ही  लिया ..
एक दिन..!!

छोटी सी ललक थी ..
बढ़ते बढ़ते ..
अपने अधिपत्य की कामना बनने लगी ......
और  कुछ ...
और बहुत कुछ पा जाने की इच्छा जब जागी ...
 अंधी दौड़ में भागते हुए ...
जग से प्रेम त्याग ..
अपनाया ..द्वेष ..इर्ष्या...छल ..राग ..
 फिर ..कपट  करना..मैंने  सीख ही  लिया ..
 ...एक दिन........!!

भागते भागते इस दौड़ में ..
 दौड़ को जीतने  की लालसा....
जब जागी ......
साम,दाम,दंड भेद ...
झूठ पर भी हो न खेद ...
और ..फिर ...
जग से मुखौटा लगाना भी ...
मैंने सीख ही लिया...
एक दिन....  ..!!

जीतने  लगी  मैं ...
लगते रहे मुखौटे ...
भरते रहे भण्डार ...
सूर्यास्त की बेला हुई .....
छाने  लगा अन्धकार ...
छूट जाने के डर से घिरी हुई  ........
सब छूट जाये पर,
छूटता नहीं मोह अब ...
न सखी न सहेली ....
बैठी हुई ..नितांत अकेली
फिर भी ......
देखो तो पापी मन मेरा  ...!
Painting by Abro khuda bux.
झगड़े और करे मेरा..तेरा  ..!!
डर-डर कर रहना सीख रहीं हूँ अब ...


क्षमा करना प्रभु ...
तुमने दिया था जन्म मुझे ..
खुली खुली इस सुंदर ...
मनमोहक   धरा पर . ..!
किन्तु ..मेरे द्वारा  बसाई ...
इस दुनिया के पिंजरे में क़ैद हो  ...
अपने आप से दूर ........
बहुत दूर  ....
और निरंतर दूर होती हुई ...
पिंजरबद्ध हो..
 रहना...मैंने...सीख ही लिया...
 एक दिन........!

हाँ ...अपनी इस काया के लिए जीना..
मोह में बंधना .. माया के लिए जीना ..
मैंने सीख ही लिया...
 एक दिन ..............!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

27 November, 2010

23-धूप-- छाँव



उल्लासित जीवन जीने का -
सतत प्रयास करती रही -
कभी धूप 
कभी छाँव  के मौसम से -
निरंतर गुज़रती रही -
ज़िन्दगी से प्रीत निभाती रही .


छुप जाती थीं जब सूर्य की -
दिव्य उष्म प्रकाश की
अलौकिक रेखाएं -
आच्छादित थीं रवि -आभ पर -
छाँव  लाती हुई -
अलक सी घटायें -
ठगी सी निर्निमेष निहारती थी -
अपलक मेरी पलक -
वही अलक सी घटायें -
छाई थी मेरे मन पर क्यों -
कारी -कारी अंधियारी लाती हुई -
वही अलक सी घटायें -
उस पर दामिनी -
दमक- दमक कर -
मन डरपा जाती थी -
बीतते न थे-
पल-पल गिनते भी -
दुःख के करील से क्षण .....!!
मनन करता था मन -
करता था पुरजोर अथक प्रयास -
ढूंढता था तनिक आमोद-प्रमोद
आल्हाद और उल्लास ...!!


है यह नियति की परिपाटी -
सुख के बाद -
अब दुःख की घाटी
हर एक मोड़ जीवन का
ले लेता जैसे अग्नि परीक्षा -
पर हो कर्तव्य की पराकाष्ठा -
और अपने ईश पर घनीभूत आस्था -
हे ईश -ऐसा दो शीश पर आशीष
जी सकूँ निर्भीक जीवन -
वेग के आवेग से मैं बच सकूँ -
आंधी औ तूफ़ान से जब-जब घिरुं-
दो अभय वरदान अपराजिता बनू -




जब -जब पा जाता था मन प्रसाद -
विस्मृत हो जाते सारे अवसाद -
आ जाता जीवन में पुनः आह्लाद ,
और फिर जी उठता  प्रमाद ....!!
फिर वही गीत गुनगुनाती रही .........!!
ज़िन्दगी की रीत निभाती रही ..!
कभी धूप कभी छाँव के मौसम से-
निरंतर गुज़रती रही -
उल्लसित जीवन जीने का-
सतत प्रयास करती रही ........!!!
ज़िन्दगी से प्रीत निभाती रही ............!!!!!!