नील निलय ,
नीलाम्बर निशांत ,
निशि की नीरवता सुशांत ,
अरुषि की लालिमा में परिवर्तित हुई ,
भोर भई ,
प्रकाश का प्रस्फुटन हुआ ,
प्रभा पंख पसार रही ,
दृष्टिगोचर होते सप्त रंग ,
विस्तृत नभ पर विस्तार हुआ ,
श्रवण श्रुति मुखर हुई,
मन परिधि पर छिटक रहा ,
सप्त रंगों का इन्द्रधनुष ,
कूची में भर लिए रंग ,
मिट गया ह्रदय कलुष ,
आओ चलो चलें……… छेड़ें रागिनी कोई ,
गायें मंगलगान ,
कुछ रंग भरें ,
कोई गीत रचें,कुछ गीत लिखें ,
नहीं बैर कहीं ,बस प्रीत लिखें ,
हिन्द देश के निवासी हम …………….
हिंदी का गुणगान करें …………………
लिखें ,रचें,कुछ ऐसा………………
आओ मातृभाषा का सम्मान करें…………
नीलाम्बर निशांत ,
निशि की नीरवता सुशांत ,
अरुषि की लालिमा में परिवर्तित हुई ,
भोर भई ,
प्रकाश का प्रस्फुटन हुआ ,
प्रभा पंख पसार रही ,
दृष्टिगोचर होते सप्त रंग ,
विस्तृत नभ पर विस्तार हुआ ,
श्रवण श्रुति मुखर हुई,
मन परिधि पर छिटक रहा ,
सप्त रंगों का इन्द्रधनुष ,
कूची में भर लिए रंग ,
मिट गया ह्रदय कलुष ,
आओ चलो चलें……… छेड़ें रागिनी कोई ,
गायें मंगलगान ,
कुछ रंग भरें ,
कोई गीत रचें,कुछ गीत लिखें ,
नहीं बैर कहीं ,बस प्रीत लिखें ,
हिन्द देश के निवासी हम …………….
हिंदी का गुणगान करें …………………
लिखें ,रचें,कुछ ऐसा………………
आओ मातृभाषा का सम्मान करें…………
हिन्द देश के निवासी हम …………….
ReplyDeleteहिंदी का गुणगान करें …………………
लिखें ,रचें,कुछ ऐसा………………
आओ मातृभाषा का सम्मान करें…………
बहुत सुंदर संदेश...हिंदी दिवस की शुभकामनायें अनुपमा जी !
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-09-2013) के चर्चामंच - 1369 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-09-2013) के चर्चामंच - 1369 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteAbhar Arun ,hriday se .
Deleteकुछ रंग भरें ,
ReplyDeleteकोई गीत रचें,कुछ गीत लिखें ,
नहीं बैर कहीं ,बस प्रीत लिखें .....अपनी मात्रभाषा का इससे प्यारा सम्मान और क्या हो सकता है
सुन्दर कविता और उतना ही सुन्दर आह्वान.
ReplyDelete
ReplyDeleteहै जिसने हमको जन्म दिया,हम आज उसे क्या कहते है ,
क्या यही हमारा राष्र्ट वाद ,जिसका पथ दर्शन करते है
हे राष्ट्र स्वामिनी निराश्रिता,परिभाषा इसकी मत बदलो
हिन्दी है भारत माँ की भाषा,हिंदी को हिंदी रहने दो .....
RECENT POST : बिखरे स्वर.
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - हिंदी को प्रणाम पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteHriday se abhar Tushar ji .
Deleteभावों का सार लिए ,अर्थ का संसार लिए-
ReplyDeleteलो फिर आया हिंदी प्रेम दिवस ,
कर लो हिंदी से प्यार।
मत बनो मनुज लाचार।
बहुत सुन्दर रचना है आपकी रचना का भाव संसार भी प्रेम संसिक्त है।
हिंदी प्रेम दिवस कहो इसे -
ReplyDeleteदेखो विडंबना देखो गौर से भाई -
पड़े मनाना दिवस भी हिंदी -
चलो आज कुल्ला दिवस भी मनाएं ,
आज सभी भारत भारती कुल्ला करें ,
हाथ धोएं ,स्नान करें ,
खाना खाएं ,
मौज मनाएं
करें प्यार अंग्रेजी को पर दिल से
हिंदी भी अपनाएँ ,
बाल गोपालन को सिखलाएँ ,
चलो हिंदी प्रेम दिवस मनाएं।
ॐ शान्ति।
ReplyDeleteनिज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।
इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात।
एक गजल कुछ ऐसी हो बिलकुल तेरे (हिंदी )जैसी हो ,
मेरा चाहे कुछ भी हो तेरी कभी न हेटी हो।
हिंदी की न हेटी हो।
तेरी ,मेरी कभी न हो हिंदी तेरिमेरी हो।
पहर वसन अंगरेजिया ,हिंदी करे विलाप ,
ReplyDeleteअब अंग्रेजी सिमरनी जपिए प्रभुजी आप।
पहर वसन अंगरेजिया उछले हिंदी गात ,
नांच बलिए नांच ,देदे सबकू मात।
अब अंग्रेजी हो गया हिंदी का सब गात ,
अपनी हद कू भूलता देखो मानुस जात।
सुन्दर कविता..... सुन्दर आह्वान........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाषा और भाव
ReplyDeleteअपनी हिन्दी सबसे प्यारी,
ReplyDeleteकोटि कोटि की राजदुलारी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर भाषा
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
जंगल की डेमोक्रेसी
मात्री भाषा का मान, सामान, गान तो होना ही चाहिए ... ये जन जन की भाषा है इसका उचित स्थान तो होना ही चाहिए ....
ReplyDeleteमातृभाषा को समर्पित सुंदर रचना |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteनहीं बैर कहीं ,बस प्रीत लिखें ,
ReplyDeleteहिन्द देश के निवासी हम …………….
हिंदी का गुणगान करें …………………
बहुत सुन्दर भाव |
uttam rachnaa ... sundar sabd vinyaas ..sahi kaha aapne matr ka i bhasha .. desh or mata ka jaaha samman hoga vahi tarakki hogi .. sadar naman :)
ReplyDeleteBeautiful poem. Loved this line, 'अरुषि की लालिमा में परिवर्तित हुई ,भोर भई'
ReplyDeleteसम्मान करें और आत्मसम्मान से जियें.. अति सुन्दर कहा है..
ReplyDeleteसुंदर शब्दों में मातृभाषा का गान,ध्यान,सम्मान।
ReplyDeletehindi divas ki badhai di, humesha ki tarah bhav pravan rachna .
ReplyDeleteमातृ भाषा का सम्मान और इसमें ही कुछ गान रचें .....खूबसूरत भाव ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना अनुपमा ,हिंदी का मान बढे सम्मान बढे......
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना अनुपमा ,हिंदी का मान बढे ....सम्मान बढे...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव.
ReplyDeleteHriday se abhar Rajiv ji .
ReplyDelete