जानते हो न ,
या फिर से बतलाऊँ ,
मेरे घर का रास्ता ...!!
देखो वो सड़क तुम्हें भटकने नहीं देगी
आस पास की हरियाली में
चहकते हुए पंछी ,
जीवन का गीत गाते हुए मिलेंगे !!
वही गीत जो तुम गाया करते हो !!
सुनहरी धूप की तपन
बहकने नहीं देगी!!
पलाश की फुनगी पर बैठी
तुम्हारी राह तकती
नन्हीं गौरैया ,
चहक चहक कर जतला देगी
कि मैं अभी भी यहीं रहती हूँ !!
जैसे इस समय
खिल उठा है मेरा उपवन ,
खिले हुए रंगों में
रंग जायेगा अभ्युदित मन
वृक्षों की घनी छाया में
थोड़ा सुस्ताते हुए आगे बढ़ते आना ,
बहती हुई नदी की कल कल में
रम न जाना ......!!
बौराये हुए आम के वृक्ष पर
कुहू कुहू गाती कोयलिया ,
जब स्वागत गान गायेगी ,
तुम्हारी चाल में फिर
तेज़ी आ जाएगी ,
आँगन में माँ की साड़ी के
आँचल से बँधी
अचार की बरनी
धूप में भी जब
मुस्कुराएगी,
घर पहुंचते ही
तुम्हें समझ आ जाएगी ,
प्रतीक्षा का एक एक पल कैसे बिताया है मैंने !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति ''
या फिर से बतलाऊँ ,
मेरे घर का रास्ता ...!!
देखो वो सड़क तुम्हें भटकने नहीं देगी
आस पास की हरियाली में
चहकते हुए पंछी ,
जीवन का गीत गाते हुए मिलेंगे !!
वही गीत जो तुम गाया करते हो !!
सुनहरी धूप की तपन
बहकने नहीं देगी!!
पलाश की फुनगी पर बैठी
तुम्हारी राह तकती
नन्हीं गौरैया ,
चहक चहक कर जतला देगी
कि मैं अभी भी यहीं रहती हूँ !!
जैसे इस समय
खिल उठा है मेरा उपवन ,
खिले हुए रंगों में
रंग जायेगा अभ्युदित मन
वृक्षों की घनी छाया में
थोड़ा सुस्ताते हुए आगे बढ़ते आना ,
बहती हुई नदी की कल कल में
रम न जाना ......!!
बौराये हुए आम के वृक्ष पर
कुहू कुहू गाती कोयलिया ,
जब स्वागत गान गायेगी ,
तुम्हारी चाल में फिर
तेज़ी आ जाएगी ,
आँगन में माँ की साड़ी के
आँचल से बँधी
अचार की बरनी
धूप में भी जब
मुस्कुराएगी,
घर पहुंचते ही
तुम्हें समझ आ जाएगी ,
प्रतीक्षा का एक एक पल कैसे बिताया है मैंने !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति ''
घर का रास्ता कोई याद दिला दे और वह रस्ता इतना मोहक हो तो कौन घर जाना नहीं चाहेगा ! सुंदर सृजन
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 18 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद यशोदा !
Deleteदिल को छू लेने वाली बातें कही हैं आपने।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन ...
ReplyDeleteवाह .... एक एक शब्द प्रतीक्षा की बेकली को कहता है । बहुत सुंदर भाव और सुंदर अभिव्यक्ति । आनंद आया पढ़ कर ।
ReplyDeleteमार्ग का मोहक चित्रण और दूसरे छोर पर प्रतीक्षा की उत्कण्ठा।
ReplyDeleteबहुत ही मोहक और अद्भुत रचना।
ReplyDeleteवाह!खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteBeautiful
Deleteजब घर के रास्ते का पता इतना मनोरम है तो घर कैसा होगा ! सुन्दर रचना
ReplyDeleteआँगन में माँ की साड़ी के
ReplyDeleteआँचल से बंधी
अचार की बरनी
धूप में भी जब
मुस्कुराएगी,
घर पहुंचते ही
तुम्हें समझ आ जाएगी ,
प्रतीक्षा का एक एक पल कैसे बिताया है मैंने !!----ओहो गहनतम भावों का ये लेखन। खूब बधाई।
सुंदर सृजन
ReplyDeleteखूबसूरत वर्णन मैम
ReplyDeleteआपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
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