जीवन के पड़ाव और
सूरज के उगने से
सांझ के आने तक की यात्रा
तुम्हारे मौन रहने से
अनहद तक यूँ ही
कुछ कुछ कहते रहने की यात्रा ,
अनगिन शब्द
कागज़ पर उकेरने की यात्रा
या
मन के भाव
कैनवास पर उभारने की यात्रा ,
मैं से मैं तक ,
अनेक यात्राओं में
रहने ,बिखरने और सिमटने की यात्रा
जीवन ,जीवन के लिए
जीवन ही तो है !!!
''सुकृति ''
सम्पूर्ण जीवन दर्शन इन चाँद पंक्तियों में समेट दिया है आपने... बहुत ही सुन्दर!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह ! जीवन की इतनी सुंदर परिभाषा !
ReplyDeleteबहुत अच्छे भाव हैं इस कविता में। और सत्य है जीवन का।
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