नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

29 April, 2021

बन्दगी


कभी पूजा
कभी इबादत कभी आराधन 
जब भी मिलती है मुझे ,
भेस नया रखती क्यूँ है ,
ऐ बंदगी तू मुझे
नित नए रूप में मिलती क्यूँ है   ?

अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "



13 comments:

  1. वास्तव में बंदगी का कोई रूप ही नहीं और सच पूछें तो इसके अनेक रूप हैं। एक पादरी एक निर्जन द्वीप में कुछ ऐसे जनजातीय समूह के मध्य आ पहुँचा जिन्हें विकसित सभ्यता का कोई भान न था। वे अपने देवता की आराधना/ बंदगी भी अपने ढंग से करते थे। उस पादरी ने सप्ताह भर उन लोगों को आराधना और बंदगी की विधि सिखाई, जिसे वे उस पादरी की देखरेख में पालन करने लगे।
    सप्ताह भर बाद जब पादरी का जहाज आ गया और वह लौटने लगा तो वह आश्वस्त था कि उसने उन्हें बंदगी सिखा दी है। जब उसका जहाज मीलों दूर निकल आया तब अचानक उसे पानी पर दौड़ती कुछ आकृतियाँ दिखाई दीं। पास आने पर उसने देखा कि वे वही जंगली मनुष्य थे। उन्होंने पादरी से पूछा - महोदय हम भूल गये जो आपने सिखाया था, एक बार पुन: बता देंगे। पादरी उन्हें जल की सतह पर दौड़ते देख दंग रह गया... उसने कहा कि आप अपनी पद्धति से ही आराधना करें, वही उचित है।
    /
    क्षमा चाहूँगा, कविता से बड़ी टिप्पणी के लिये खेद है!!

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०१-०५ -२०२१) को 'सुधरेंगे फिर हाल'(चर्चा अंक-४०५३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद!!

      Delete
  3. बंदगी ही नहीं ज़िन्दगी भी नित नए रूप में मिलती है। क्यों न हम ज़िन्दगी की ही बंदगी कर लें।

    ReplyDelete
  4. सुंदर रचना

    ReplyDelete
  5. बन्दगी भी कहाँ सबके हिस्से आती है । आपको अनेक रूपों में मिलती । खूबसूरत अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
  6. जिंदगी के रूप अनेकों, जीवन देने वाले के भी तो फिर बन्दगी ही क्यों एक जैसी रहे

    ReplyDelete
  7. बंदगी कथा अनंता!

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  9. टिप्पणी के लिए आप सभी का धन्यवाद!

    ReplyDelete
  10. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  11. बंदगी के कितने ही रूप और प्रकार हैं। इसका व्यापक स्वरूप बहुत कम कों दिखता है। शुभकामनाए ।

    ReplyDelete
  12. चन्द पंक्तियों में लाजवाब भाव पिरो दिए आपने ... और बेमिसाल फूलों के साथ ...

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!