शब्द अपने कितने स्वरूपों में
खटखटाते हैं
मन चेतन द्वार ,
लिए निष्ठा अपार ,
झीरी से फिर चली आती है
धरा के प्राचीर पर
रक्तिम .....
पलाश वन सी ....
रक्तिम .....
पलाश वन सी ....
रश्मि की कतार
नवल वर्ष प्रबल विश्वास
सजग है मन
रचने नैसर्गिक उल्लास,
हँसते मुसकुराते से
भीति चित्र ,
प्रभात का स्वर्णिम उत्कर्ष,
शबनमी वर्णिका का स्पर्श ,
एक विस्तृत आकाश का विस्तार ,
बाहें पसार ...
चल मन उड़ चल पंख पसार ....!!
नवल वर्ष प्रबल विश्वास
सजग है मन
रचने नैसर्गिक उल्लास,
हँसते मुसकुराते से
भीति चित्र ,
प्रभात का स्वर्णिम उत्कर्ष,
शबनमी वर्णिका का स्पर्श ,
एक विस्तृत आकाश का विस्तार ,
बाहें पसार ...
चल मन उड़ चल पंख पसार ....!!
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आप सभी को नव वर्ष 2015 की अनेक अनेक मंगलकामनाएं !!सभी के लिए यह वर्ष शुभ हो ऐसी प्रभु से प्रार्थना है !!
आप सभी को नव वर्ष 2015 की अनेक अनेक मंगलकामनाएं !!सभी के लिए यह वर्ष शुभ हो ऐसी प्रभु से प्रार्थना है !!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र....व शब्द ....नये वर्ष की शुभकामनायें..
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर वर्ष २०१५ की प्रथम चर्चा में दिया गया है
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
हृदय से आभार दिलबाग जी ,इस शुभ अवसर पर आपने मेरी कविता को चर्चा मंच हेतु चयन किया !!नव वर्ष की मंगलकामनाएं !!
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .नव वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteमन की मुक्त उड़ान उत्फुल्ल कर गई ,आभार !
ReplyDeleteखोल दिए हैं नए साल ने द्वार
ReplyDeleteअब तो उड़ना ही होगा पंख पसार
नव वर्ष की शुभकामनायें.
उम्मीद जगाती पंक्तियाँ..नये वर्ष की शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आओ हम सब अपने जीवन में नैसर्गिक उल्लास समेट लें .
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर पोस्ट......
सुंदर भावाभिव्यक्ति.... नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
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