उमड़ते हुए भावों की
वीथी से ,
चुनते हुए शब्दकार के -
शब्द की प्रतीति से ,
रचना से रचयिता तक ,
विलक्षण ,
खिलते कुसुमों से अनुराग लिए ,
पल पल बढ़ता है मन ,
गुनते हुए क्षण क्षण ,
अभिनव आरोहण ,
बुनते हुए रंग भरे कात से ,
रंग भरा ,
उमंग भरा मन ,जीवन !!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति"
ये उमंग भर में भरा रहे और भावों की वीथी से शब्दों को चुन कर आप कविता कहती रहें ।
ReplyDeleteसुंदर कृति ।।
सुंदर रचना
ReplyDeleteमन में जगी उमंग और उत्साह ही जीवन को अर्थ देते हैं! सुंदर रचना !!
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
नमस्कार कामिनी जी !!
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने मेरी रचना को रविवार की चर्चा में स्थान दिया !!
सुंदर रचना
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteलिखना भी खिलने जैसा होता है, अब जाना । कोमल अनुभूति सी कविता । अच्छा लगा ।
ReplyDeleteप्रकृति में पुष्पित नवल पुष्प सी सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
मन के भावों बखूबी पिरोया है आपने इस सुंदर रचना में ।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई अनुपमा जी
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