जीवन की अनमोल घड़ी यह
प्रातः की बेला मे खिलकर
छाई हुई ये धुंध मिटा दो
मुझमें मेरा बसंत खिला दो ,
मुझसे मेरा परिचय करवा दो
बाग तुम्हारे महकूँ ऐसे
खिले पुष्प सी लहकूँ ऐसे
मौन खड़ी सुरभी बिखराऊँ,
भाव भाव गुन शब्द रचाऊँ
रजनी गंधा सी महका दो
मुझसे मेरा परिचय करवा दो
बहने लगे भाव की धारा
बहें शब्द पा जाएँ किनारा,
सप्त स्वरों में बहता मेरा
अभिनंदन वंदन बन जाये
कोयलिया का गान सुना दो ,
मुझसे मेरा स्वत्व मिला दो
मुझसे मेरा परिचय करवा दो
मन की आभा से खिली खिली ,
शब्दों की ऐसी संरचना हो ,
स्वाति की इक बूंद सजल मन,
चातक मन की प्यास बुझा दो ,
रंग भरे रस यूँ छलका दो
मुझमें मेरा बसंत खिला दो… !!
मुझसे मेरा परिचय करवा दो
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गदगद हो गया मन. आपकी समस्त अभिलाषायें पूरी हो. शब्द-शब्द प्रातः समीर की तरह मन से होकर गुज़रा है.
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर ..... स्वयं से साक्षात्कार हो , हर मन की अभिलाषा होती है ....
ReplyDeleteप्राकृति में उन्मुक्त हो के ही स्वयं का परिचय मिलता है ... इस विराट श्रृष्टि से एकाकार होता है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDelete:-)
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसम्मोहित करती हुई..
सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
waah bahut khoob....
ReplyDeleteकाश मैं खुद को पहचान जाऊन :)
ReplyDeleteजल्दी आपकी कामना पूरी हो :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना .
ऋतुराज के आगमन के बहाने स्वत्व की खोज में सुरभित शब्द . आनंदायक
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30-01-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
ReplyDeleteआभार
हृदय से आभार दिलबाग जी !!
Deleteअपने को पहचानें हम सब, सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteभावों का अद्भुत प्रवाह...शब्दों और भावों का लाज़वाब संयोजन...बहुत उत्कृष्ट रचना..
ReplyDeleteमन की आभा से खिली खिली ,
ReplyDeleteशब्दों की ऐसी संरचना हो ,
स्वाति की इक बूंद सजल मन,
चातक मन की प्यास बुझा दो ,
रंग भरे रस यूँ छलका दो
मुझमें मेरा बसंत खिला दो… !!
अनुपमा जी, कितनी सुंदर विनय छुपी है इस कविता में..बसंत की शुभकामनायें!
वाह मुझको मुझसे मिलवा दो बेहतरीन प्रस्तुति :
ReplyDeleteजीवन की अनमोल घड़ी यह
प्रातः की बेला मे खिलकर
छाई हुई ये धुंध मिटा दो
मुझमें मेरा बसंत खिला दो ,
मुझसे मेरा परिचय करवा दो
बहुत ही सुन्दर रचना अनुपमा जी ...
ReplyDeleteबसंत की हार्दिक शुभकामनाएँ !!! :-)
बहुत ही सुंदर रचना...
ReplyDeleteरचना पर अपने विचार देने हेतु आप सभी का आभार ...!!
ReplyDeletebadhai
ReplyDeleteबस एक मुलाक़ात हो जाये,
ReplyDeleteखूब रोशन ये रात हो जाये
एक दिलदार से मुखातिब हों
खुद की खुद से बात हो जाये
मुझसे मेरा परिचय करवा दो.... बहुत ही सुंदर रचना...
ReplyDeleteसुन्दरता से पिरोये शब्द |
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteNice Post . . Have a Nice Day. . . :)
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