कोलाहल में शून्यता
स्वार्थ से परमार्थ का बोध
अपने से अपनों तक
और अपनों से अपने तक
सत्य स्वत्व है
निज घट यात्रा
एक अनुभूति
सबकी अपनी
टुकड़ों टुकड़ों में बिखरी
माला सी गुंथी स्वयं मे ,
ईश्वर रूप
मूर्त में अमूर्त सी
प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में
ईश्वर तक की पहुँच है
स्थिरता है ……
भटकन नहीं है
एक खोज सबकी अपनी अपनी .....
अनकही अनसुनी सी
एक अनुभूति ईश्वरीय
सत्य का बोध ही
सौन्दर्य बोध
सत्यम शिवम् सुंदरम है
क्या बात है आदरणीया-
ReplyDeleteशुभकामनायें-
बहुत गहन और सुन्दर |
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteसत्य का बोध ही सौंदर्य बोध है..
ReplyDeleteगहन भाव लिए सुन्दर रचना...
:-)
bahut sundar satya bhawo se bhara .
ReplyDeleteकाफी उम्दा प्रस्तुति.....
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-01-2014) को "तलाश एक कोने की...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1497" पर भी रहेगी...!!!
- मिश्रा राहुल
हृदय से आभार आपका राहुल मिश्रा जी .
Deleteबहुत गहन और सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबेहद गहन व सार्थक प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteसत्यम शिवम् सुंदरम
ReplyDeleteनि:संदेह.
वहाँ समय को रुक जाना है,
ReplyDeleteनहीं मात्र जड़वत स्थिरता।
सत्यम शिवम् सुंदरम......
ReplyDeleteसुंदरम . . .
ReplyDeleteउम्दा ,प्रभावी प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
खूबशूरत,प्रभावी प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
सत्य बोध तो हमेशा कल्याणकारी होता है, बोधिसत्व जो बनाता है. हमेशा की तरह विचारों को झंकृत करती कविता .
ReplyDeleteसत्य बोध तो हमेशा कल्याणकारी होता है, बोधिसत्व जो बनाता है. हमेशा की तरह विचारों को झंकृत करती कविता .
ReplyDeleteखुबसूरत शब्दों का चयन सुन्दर रचना |
ReplyDeleteएक अध्यात्मिक और दार्शनिक कविता!! आत्मा का अमृत!!
ReplyDeleteसच, वह खोज अपनी है और अपनी-अपनी भी
ReplyDeleteईश्वर रूप
ReplyDeleteमूर्त में अमूर्त सी
प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में
सच लिखा है. लेकिन कई लोग इस अनुभूति से सदा वंचित रह जाते है या जानने का यत्न नहीं करते.
सत्य धीव सुन्दर ले अलावा और क्या है जो सबका अपना अपना है ... वो सब तो मिथ्या है ...
ReplyDeleteसत्य ही शिव है...सुंदर है...
ReplyDeleteसागर की सी गहन गंभीरता लिए ....अपने अपने सत्य के साथ बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteखूबसूरत भाव
ReplyDeleteअनुपमा जी, वही सत्य है जो शिव है जो शिव है वही सुंदर है...और वह हमारी आत्मा की आत्मा है...सुंदर भाव !
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से आभार इस गहन रचना पर आपने अपने उत्कृष्ट विचार दिये ....!!बहुत बहुत आभार ....!!
ReplyDeleteअपने से अपनों तक और अपनों से अपने तक ....बस येही सत्य है ....वाह !
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