जागत पावत -
षडज सुहावत -
षडज सुहावत -
सुर मिलावत-
सुध बिसरावत -
बंदिश गावत -
अति हरषावत -
राग सजावत -
गावत गावत -
दुःख बिनसावत -
धन घड़ी..
शुभ वचन ...
धन भाग ...
मन सुहाग ......!!
प्रीत निभावत ..
सजन घर आवत ......!!!!
स्वागत गावत ..
चौक पुरावत.....प्रीत निभावत ..
सजन घर आवत ......!!!!
गावत गावत ..
सगुन मनावत .....
जिन खोजत तिन ....
मुतियन मांग भरवात ........!!!!
जिन खोजत तिन -
मुतियन मांग भारावत ....!!!!
कोई भी अभिरुचि हमारी हमें इश्वर के समीप ले जाती है |चाहे चित्रकला हो या लेखन हो या संगीत या नृत्य |इन विधाओं में डूब जाने पर स्वतः ही हर्षित रहता है मन ...!
कोई भी अभिरुचि हमारी हमें इश्वर के समीप ले जाती है |चाहे चित्रकला हो या लेखन हो या संगीत या नृत्य |इन विधाओं में डूब जाने पर स्वतः ही हर्षित रहता है मन ...!
पूर्णानंद की प्राप्ति होती है ...संगीत माध्यम से प्रभु भजन में
ReplyDeletebilkul sach...koi bhi ruchi-abhiruchi...prabhu ke pass hone ka marg hai..:)
ReplyDeleteधन घड़ी..
ReplyDeleteशुभ वचन ...
धन भाग ...
मन सुहाग ...prabhu ke nikat mann charam sukh ki anubhuti paata hai
जिन खोजत तिन -मुतियन मांग भारावत ....!!
ReplyDeleteसच कहा……………देव अराधना किसी भी रूप मे की जाये सफ़ल होती है …………वैसे भी भगवान ने कहा है जैसे तुम मुझे भजोगे वैसे ही मै भी तुम्हे भजूंगा।
झरना नृत्य करते हुये उतर रहा है।
ReplyDeleteआध्यात्म रस ने विभोर कर दिया...
ReplyDeleteअति सुन्दर...
कमाल है ...बेहतरीन शब्द सामर्थ्य ! शुभकामनायें आपको !!!
ReplyDeleteबेहतरीन काव्य रचना ......आखिरी पंक्तियों में आपके विचार मन को छू गए
ReplyDeleteध्वन्यात्मकता लिए हुए सुन्दर कृति!
ReplyDeleteबड़ा माधुर्य है आपकी प्रस्तुत पंक्तियों में.
ReplyDeleteवाह अनुपमा जी ... कितना सुन्दर लिखा है...सुबह सुबह हिय हुलसावत ..मन भावन रचना आपकी खुशियों की लहर ले आवत ... बहुत प्यारा लिखा है आपने... बधाई...
ReplyDeleteईश्वर की याद उत्कटता से दिला गयी .....
ReplyDeleteआराधना और साधना दोनों को एक साथ अपने साध लिया, बधाई !
ReplyDeleteKarm ki pradhaanta to ishvar ne sabse jyaada apne nikat rakhi hai ... saarthak sandesh deti panktiyaan ...
ReplyDeleteOh meri pyaari anu di , dil le gayee !
ReplyDeleteClassy ! :-)
आपने भावों की डोर में शब्दों के बहुत खूबसूरत मोती पिरो दिए हैं।
ReplyDeleteनिस्संदेह आराधना ऐसा ही होती है .बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .शुभकामनायें आपको
ReplyDeleteaanad me dubo dene wali prastuti.
ReplyDeleteAnupama ji.........bahut hii achchi rchnaa...prte prte man shaanti paane lgaa
ReplyDeletetake care
आनंद मय जीवन तभी जिया जा सकता है जब हम इस आनंद के साथ जुड़ते हैं ..और इसके लिए ईश के साथ जुड़ना आवश्यक है ...आपका आभार इस सार्थक प्रस्तुति के लिए
ReplyDeleteआप सभी के आशीर्वचनो से मन को जो उर्जा मिली है ....क्या कहूँ ....!!
ReplyDeleteछा गयो री ...तोरे नैनो में राम ...
या .....
मन आनंद आनंद छायो .........
प्रभु अमृत रस ऐसे बरसे ..
मनवा सुध-बुध बिसरायो .....
आप सभी का ह्रदय से आभार .....!!
सुंदर, संगीतमय शब्द-संयोजन.
ReplyDeleteऐसा लग रहा है जैसे भक्ति भाव में डूबा कोई गुणी बड़ा खयाल की बंदिश सुमधुर कंठ से गा रहा हो।
ReplyDeleteमन को तृप्त करने वाली रचना।
बेहतरीन काव्य रचना|
ReplyDeleteसच कहा माध्यम कोई भी हो जिसमे भी आप डूब जायेंगे ईश्वर को पा जायेंगे.
ReplyDeleteराह पकड़ तू एक चला चल पा जायेगा मधुशाला.
सुंदर प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर रचना ! मोबाइल पर देख तो लिया पर टिप्पणी मुश्किल थी ! देर आये दुरुस्त आये . कल कल बहती नदी की तरह प्रवाहमान .
ReplyDeletebahut sundar....
ReplyDeleteप्रभु मूरत बिन -[Image]चैन न आवत -सोवत खोवत
ReplyDeleteरैन गंवावत -जागत पावत -
षडज सुहावत - सुर मिलावत-सुध बिसरावत -
बंदिश गावत -अति हरषावत -
राग सजावत -गुनी रिझावत -
bahutsunder bha.padker dil ko aekdam sukun mila hai.sunder rachanaa ke liya badhaai.
यह भी एक प्रकार की साधना ही है...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!!
जिन खोजत तिन मोतियन मांग भरावत, कितनी सुंदर अभिव्यक्ति की है आपने , सोवत खोवत -जागत पावत मैं कितनी गहराई के भाव छिपे हैं यह इक प्रभु-भक्ति मैं डूबने वाला मन ही अहसास कर सकता है: आपकी कविता दिन-प्रतिदिन नयी बंदिशों को पार करती जा रही है और मेरा मन बार-बार आपकी इक नयी कविता पढने को लालायित रहता है , बहुत-बहुत सुभकामनाओं के साथ: सुमन
ReplyDeleteye sangeet mmmuj nhi sammmmmmmmmmj aata paaaaaaaaa bhut suundar hai har ek shabd
ReplyDeleteye sangeet mmmuj nhi sammmmmmmmmmj aata paaaaaaaaa bhut suundar hai har ek shabd
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