दूर...... तक फैली हुई
तन्हाईयाँ ......
बर्फ की चादर में -
लिपटी हुई- सिमटी हुई-
ये खामोशियाँ .....
सर्द हवाओं सी .......
सर्द एहसास को हवा देतीं हैं ....!!!!!
मेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख कर जिसको.....
फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......
बेबाक .......
मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
फिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें
मेरी साँसे
सांस लेने का सबब
वो इक नायाब सुबह का मंज़र
कोमल भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर रचना।
अनुपम शब्द सौन्दर्य और कोमल भावों से सुसज्जित कविता .
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
nature ki khoobsoorti ka sunder chitran kiya hai
ReplyDeleteबर्फ सी खामोशियाँ।
ReplyDeleteसांस लेने का सबब
ReplyDeleteवो इक नायाब सुबह का मंज़र
खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....
tu n mane log manenge zarur
ReplyDeleteवाह ...यूँ ही बना रहे दीवानापन और सुबह का मंज़र खिलता रहे ..
ReplyDeleteफिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख कर जिसको.....
फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......
मेरा दीवानापन ..गजब की कविता है बहुत ही खूबसूरत बधाई अनु जी
बातों में नरमी है,अंदाज़ अच्छा है
ReplyDeleteफिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख कर जिसको.....
फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......
मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!
वाह अनुपमा जी , बहुत कमाल की अभिव्यक्ति । आनंद आ गया ।
.
सुन्दर कविता
ReplyDeleteप्यारे भाव लिए हुए
आभार
सुबह की तरह , एकदम तरोताज़ा करने वाली |
ReplyDeletebahut khoobsurat manzar prastut kiya aapne...ham bhi kho gaye.
ReplyDeleteमन का दीवानापन
ReplyDeleteसच में
खूबसूरत शब्दों में सिमट गया है
अच्छी रचना !
वो सुबह कभी तो आएगी ...
ReplyDeleteमन के भावों का सुंदर चित्रण !
आदरणीय अनुपमा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
खूबसूरत शब्दों में अच्छी रचना !
दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखती हैं आप।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
एच.आई.वी. और एंटीबायोटिक में कौन अधिक खतरनाक?
फिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
कमाल की पंक्तियाँ .....बेहद सुंदर और प्रभावित करती रचना
फिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख कर जिसको.....
फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......
मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!
bahut hi sundar hai .
bahur sundar
ReplyDeleteआदरणीया अनुपमा जी
ReplyDeleteप्रणाम !
सादर सस्नेहाभिवादन !
.फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......मेरा दीवानापन .......!
बहुत सुंदर है मेरा दीवानापन !
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
मन को छू जाने वाले भाव।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
आप सभी को मेरी ये कोशिश पसंद आई -तहे दिल से शुक्रिया ....
ReplyDeleteये मेरी कविता का सफ़र है ......
बर्फ की चादर में लिपटी हुई सिमटी हुई खामोशियाँ .......नायाब सुबह का मंज़र मिलते ही -बेबाक दीवानगी में कैसे बदलती हैं .....!!
आप सभी के प्रोत्साहन से -आपकी टिप्पणियों से ....ये सफ़र और सुहाना होता जा रहा है .....!!!!!
आदरणीया अनुपमा जी सादर नमस्कार !
ReplyDelete..
ये खामोशियाँ .....
सर्द हवाओं सी .......
सर्द एहसास को हवा देतीं हैं ....
कोमलता से ओतप्रोत रचना !
http://anandkdwivedi.blogspot.com/
फिर ढूँढती हैं
ReplyDeleteमेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस लेने का सबब ....
वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख कर जिसको.....
फिर खिल-खिल उठे...
बेबाक .......
मेरा दीवानापन .......!!!
कोमल मन की कोमल भावनाएं..!!
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
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