कोई तो सन्देस है लाई ,
सीली सी हवा है ,
मौन है क्षण ,
यूँहीं कुछ बोलती है कविता !!
अंबर छाए घन ,
रस घोलती है कविता ....!!
लड़ियन बूंदन से ,
भरी अंजुरी मेरी ,
मन भिगोती है कविता ....!!
आस उड़ेलती ,
रंग पलाश सी ,
आज …,
झर झर बरसती है कविता !!
यूँहीं कुछ बोलती है कविता !!
काफी दिनों बाद आपकी कृति देखने व पढ़ने को मिली
ReplyDeleteबेहतरीन कृति..
सादर
सचमुच कविता की फुहार मन आंगन को भिगा जाती है कभी अनायास ही..
ReplyDeleteयूँहीं कुछ बोलती है कविता
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी !! चर्चा मंच पर कविता को स्थान मिला कृतज्ञ हूँ !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 23 जून 2016 को लिंक की गई है............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteकविता का चयन किया ,हार्दिक आभार यशोदा ! स्नेह यूं ही बनाये रखना !!
Deleteबरसती कविता कितनी ही आशाओं को जन्म देती है ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना है ...
अहा !!!
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
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