यही यात्रा तो जीवन है ...!!
अविराम श्वासों की लय,
स्पर्श ...सिहरन
मौन के
नाद की अविरति ,
अनुभूति की
अभिव्यंजना
अनुक्रम तारतम्य का ,
चंचलता मन की ...
आरोह ,
मुझ से तुम तक का
और अवरोह
तुम से मुझ तक का .....
सम्पूर्णता
राग के अनुराग की
यही यात्रा तो जीवन है !!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-08-2017) को "चौमासे का रूप" (चर्चा अंक 2702) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ReplyDeleteकोमल भाव
ReplyDeleteसच में यही जीवन है.
ReplyDeleteआरोह ,
ReplyDeleteमुझ से तुम तक का
और अवरोह
तुम से मुझ तक का .....
सम्पूर्णता
राग के अनुराग की
यही यात्रा तो जीवन है !!
बहुत सुन्दर भाव ... सोच रही कि क्या लिख जाती हो तुम ..... भाव विभोर हूँ
रचना को चर्चा में शामिल किया, बहुत-बहुत धन्यवाद दी!!
Deleteआपका स्नेह बना रहे !!
सुंदर भावों का प्रवाह ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 19 अप्रैल 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सादर प्रणाम दी
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद
वाह अत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ...👌
ReplyDeleteसादर।
राग के अनुराग की
ReplyDeleteयही यात्रा तो जीवन है !!
कितने सुन्दर भाव...वाह!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या कहने! बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
वाह!
ReplyDelete