''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
घननन बरसो ,
ताल ताल में
ग्वाल बाल की थाप बनो
मन राधा घनश्याम बनो
प्रीत बनो तुम सरसो
घन तुम बरसो !!
फूल फूल में
पात पात में
रंगों से मिल
खिल खिल
मेरे जिय में हरसो
घन तुम बरसो
अनुपमा त्रिपाठी
'सुकृति '
बारिश का भी अपना एक अलग ही आनंद है लेकिन मर्यादा में बहुत सुन्दर
घन प्यासी धरा पर मन भर बरसें, यही कामना करते हैं हम। अभिनंदन आपका।
वर्षा को सुंदर आमंत्रण!
वाह ! वर्षा ऋतु पर सुंदर, सरस अभिव्यक्ति ।
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!greetings from malaysialet's be friend
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
बारिश का भी अपना एक अलग ही आनंद है लेकिन मर्यादा में
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
बारिश का भी अपना एक अलग ही आनंद है लेकिन मर्यादा में
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
घन प्यासी धरा पर मन भर बरसें, यही कामना करते हैं हम। अभिनंदन आपका।
ReplyDeleteवर्षा को सुंदर आमंत्रण!
ReplyDeleteवाह ! वर्षा ऋतु पर सुंदर, सरस अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeletegreetings from malaysia
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