''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
सपनो की लाली ,
भोर से थी जो चुराई ,
आहट सी
कानो में जो गूंजती थी ,
लगा ,फिर आने को है
अहीरभैरव सी ,
कोई रागिनी अनुरागिनी सी कविता !!
अनुपमा त्रिपाठी
''सुकृति "
आपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है आप भी सादर आमंत्रित हैं।सादरधन्यवाद।संगीता स्वरूप
ऐसा लग रहा कि रुनझुन रुनझुन पायल बज उठी हो ..... सुन्दर रचना .
सादर धन्यवाद दी!!❤️
सच ! बहुत सुंदर छायाचित्र जैसी रचना ।
भोर का सुंदर स्वागत!!
भोर का सुंदर स्वागत!
रुनझुन सी मधुर अनुभूति हुई खूबसूरत सृजन।सादर।
सुंदर रचना
वाह!!!भोर सी मनमोहक।
यूं ही प्रकृति से कुछ न कुछ चुराती रहें और कलम चलाती रहें
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
आपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
ऐसा लग रहा कि रुनझुन रुनझुन पायल बज उठी हो ..... सुन्दर रचना .
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दी!!❤️
Deleteसच ! बहुत सुंदर छायाचित्र जैसी रचना ।
ReplyDeleteभोर का सुंदर स्वागत!!
ReplyDeleteभोर का सुंदर स्वागत!
ReplyDeleteरुनझुन सी मधुर अनुभूति हुई
ReplyDeleteखूबसूरत सृजन।
सादर।
सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteभोर सी मनमोहक।
यूं ही प्रकृति से कुछ न कुछ चुराती रहें और कलम चलाती रहें
ReplyDeleteसुंदर रचना
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