चन्द्रिका तुम आओ ....!!
प्रेम भरा धरती पर धरो पग ..
अपने स्पर्श मात्र से ..
दिवसाग्नि को तनिक ...
शीतलता दे जाओ ....!!
अब निरंतर निर्झर झरो ...
मृणाल पात पर मेरे धर जाओ ....
अपनी सम्पूर्ण धरोहर ...
एक बूँद ओस सी मनोहर .....!!
महत् आनंद सरसाओ ....
चन्द्रिका तुम आओ ...
तुम्हारा ..शीतल रजत प्रकाश ...
यूँ हो सार्थक अविरत ...
सीमित से इन क्षणों में ....
असीम भाव बरसाओ ......!!
चन्द्रिका तुम आओ ...!!
महत् आनंद सरसाओ ....
ReplyDeleteचन्द्रिका तुम आओ ............बहुत बढियां ,सुंदर |
आया न....पूर्णिमा लेकर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर रचना ............चन्द्रिका की शीतलता तो सबको प्रिय है और कवि ह्रदय जो महसूस करता है वो और कोई नहीं अनुपमा जी ..........
ReplyDeleteशीतल चाँदनी से खूबसूरत गुहार ...
ReplyDeleteनिर्मल पावन भाव..... सुंदर शब्द संयोजन
ReplyDeleteसुमधुर प्रभाव..
ReplyDelete.
ReplyDeleteखुबसुरत अभिव्यक्ति
शीतल, निर्मल पोस्ट .....
ReplyDeleteमन को आनंदित करते भाव..
सीमित से इन क्षणों में ....
ReplyDeleteअसीम भाव बरसाओ ......waah .....bahut badhiya ...
स्वच्छ चांदिनी बिछी हुई है अवनि और अम्बर तल में . सुन्दर आवाहन दी .
ReplyDeleteचांदनी से सुन्दर आवाहन
ReplyDeleteसुन्दर आवाहन अनुपमा
ReplyDeleteअच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteमन शीतल हो गया रचना पढ़कर.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (27 -4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत आभार वंदना जी ,चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए ....!!
Deleteचांदनी को प्रीत भरा आमंत्रण...सुंदर !
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण रचना
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
aise aamntaran par kon nahi aayega ..bahut sunder
ReplyDeleteशब्दों और भावों का निर्झर बहता झरना .... वाह !!!
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ....बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteइतना स्नेह भरा निमंत्रण ...अवश्य स्वीकार होगा ।
ReplyDeleteस्नेह भरा सुन्दर आवाहन..
ReplyDeleteकोमल भावाभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुंदर प्रेमासिक्त आह्वान. बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteकविता में चांदनी की-सी शीतलता अच्छी लगी।
ReplyDeleteकाव्यामृत का पान किया...
ReplyDeletewaah bahut bahut sundar lagi yah rachna
ReplyDeleteaah ..... ati sundar !!
ReplyDeleteaah ..... ati sundar !!
ReplyDeleteप्रेम के अनुराग को आमंत्रित करती
ReplyDeleteसार्थक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
अहा! प्यार भरा निवेदन. सुन्दर... बधाई.
ReplyDeleteआपकी कवितायेँ गीत की सी मधुर सुरमय होती हैं .....
ReplyDeleteबहुत मनभावन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अनु
ReplyDeleteआभार आप सभी का .....ह्रदय से ....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कृति
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