बुन लिए जाते हैं
तो गर्माहट देते हैं
गुन लिए जाते हैं
गुन लिए जाते हैं
तो ज्ञान का अथाह सागर
स्पर्श करें जो भाव तो
समुद्र की लहरों से चंचल
तुम्हारे ...मेरे...
हाँ ... शब्द वही होते हैं ...!!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
स्पर्श करें जो भाव तो
समुद्र की लहरों से चंचल
तुम्हारे ...मेरे...
हाँ ... शब्द वही होते हैं ...!!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (8-5-22) को "पोषित करती मां संस्कार"(चर्चा अंक-4423) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत धन्यवाद कामिनी जी मेरी प्रविष्टि को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु !!
Deleteनिस्संदेह शब्द शक्ति पुंज होते हैं। सुंदर रचना।
ReplyDeleteवाह!बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
शब्दों की सुंदर व्याख्या । सुंदर सराहनीय रचना ।
ReplyDeleteवाकई उन्हीं शब्दों से कोई कहानी बुन लेता है तो कोई भाव की सरिता बहा देता है
ReplyDeleteखूबसूरत सृजन
ReplyDeleteखूबसूरत सृजन
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव हैं कविता के
ReplyDeleteसच शब्द जुलाहे का ताना बाना है जो कबीर के भावों में ढल कर अमर हो जाते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
अति सुन्दर शब्द।
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