कोई तो पारावार हो
ला सके जो स्वप्न वापस
कोई तो आसार हो
मूँद कर पलकें जो सोई
स्वप्न जैसे सो गए
राहें धूमिल सी हुईं
जो रास्ते थे खो गए ,
पीर सी छाई घनेरी
रात भी कैसे कटे ,
तीर सी चुभती हवा का
दम्भ भी कैसे घटे
कर सके जो पथ प्रदर्शित
कोई दीप संचार हो
हृदय के कोने में जो जलता,
ज्योति का आगार हो
व्यथित हृदय की वेदना का
कोई तो पारावार हो
ओस पंखुड़ी पर जमी है
स्वप्न क्यूँ सजते नहीं ?
बीत जात सकल रैन
नैन क्यूँ मुंदते नहीं ?
विस्मृति तोड़े जो ऐसी ,
किंकणी झंकार हो
मेरी स्मृतियों की धरोहर
पुलक का आधार हो
व्यथित हृदय की वेदना का
कोई तो पारावार हो
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
लाजवाब और सुंदर गीत
ReplyDeleteस्वप्न भी अब कहाँ आते हैं... आह।
नई रचना पौधे लगायें धरा बचाएं
अतृप्त मनस का व्यक्त संवेदन। प्रभावशाली।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१४-०७-२०२१) को
'फूल हो तो कोमल हूँ शूल हो तो प्रहार हूँ'(चर्चा अंक-४१२५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
नमस्ते अनीता जी ,
Deleteमेरी रचना को चर्चा अंक में चयन करने हेतु मेरा ह्रदय से सादर धन्यवाद आपको !!
व्यथित हृदय की वेदना का पारावार ही तो नहीं मिलता ।
ReplyDeleteसुंदर सृजन
काश! काश कि ऐसा हो पाए! बहुत अच्छी और मन को छू लेने वाली अभिव्यक्ति है यह आपकी अनुपमा जी।
ReplyDeleteअंतर्मन के मनोभावों का सुंदर चित्रण।
ReplyDeleteव्यथित हृदय की वेदना का
ReplyDeleteकोई तो पारावार हो
बहुत सुन्दर रचना
भीनी-भीनी भंगिमा.
ReplyDeleteबीत जाये व्यथा.
कोमल अभिव्यक्ति.
वेदना के स्वरों को सुंदर शब्दों से पिरोया है आपने! दर्द जब हद से गुजर जाता है दवा बन जाता है
ReplyDeleteवेदना का अनन्त स्वर ... आह!
ReplyDeleteबेहद हृदयस्पर्शी सृजन
ReplyDeleteव्यथित हृदय की वेदना का
ReplyDeleteकोई तो पारावार हो - - ह्रदय स्पर्शी रचना - -
व्यथा हो तो वेदना जन्म लेती है ... जो पीड़ा में कई बार दिल के भाव पनीले कर जाती है ... भावपूर्ण रचना ....
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 09 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद यशोदा जी!!
ReplyDeleteमन की व्यथा और वेदना जब असह्य हो जाती है तभी ऐसी रचनाओं का सृजन होता है। बहुत अच्छी रचना है दीदी।
ReplyDelete