आई ....सावन ऋतु आई ..भरमाई..
सुघड़ नार सी बलखाई ..बौराई ...इठलाई ...
फिर ...शरमाई ...!!
फिर घूम घूम ..झूम झूम ...घटा छाई ...!!
काहे बुंदियन बरसन आई ...??
खिल-खिल लजाई ...
रस फुहार लाई ...!!
काहे बुंदियन बरसन आई ...??
खिल-खिल लजाई ...
रस फुहार लाई ...!!
आई आई ....सावन ऋतु आई ...!!
अर र र ....हंसत ......चलत ....उड़त...
लहर लहर लहराए चुनरिया ....
झूम झूम मदमस्त ...बैरी पवन ...
सजनी का डोले-डोले बांवरा मन .....!!लहर लहर लहराए चुनरिया ....
पायल संग उड़े उड़े तन ..............
थिरक थिरक थिरके चितवन ..!!
झूम झूम झन झन ...
थिरक थिरक थिरके चितवन ..!!
झूम झूम झन झन ...
छूम छनन नन छन छन ...!!
मनवा तू भी झूम ले रे ...
तक धिना धिन ... घूम ले रे ...
तक धिना धिन ... घूम ले रे ...
मुस्कुराले ...संग गा ले ... कुछ क्षण ...!!
बीत जायेगा पल में ....
ये निष्ठुर ..
क्षण भंगुर जीवन ...
क्षण भंगुर जीवन ...
मन वीणा के तार मिला ले .....
कजरी से सुर ताल मिला ले ...
मिला तुझे है मानव जीवन ...
रुच रुच इसको भाग जगा ले ....
झूम झूम झन झन ...
छूम छूम छन छन ..
*****************************************************************************************
सर्वप्रथम ....आज गुरु पूर्णिमा पर श्री गुरुवे नम: ....!!
आज से ही मन झूम रहा है ..... कल सावन का पहला दिन .....हरियाला सावन आया .......
उमंग ...उल्लास ...उत्साह से भरा .....
मन का रंग हरा-हरा ....
प्रभु से प्रार्थना है ....यही रंग ...यही उल्लास ...उमंग से हरा भरा रहे .......आप सभी का जीवन ........
छूम छनन नन छन छन ...!!
झूम झूम झन झन ...
छूम छूम छन छन ..
छूम छनन नन छन छन ...!!
छूम छनन नन छन छन ....!!!!!!!
छूम छनन नन छन छन ....!!!!!!!
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सर्वप्रथम ....आज गुरु पूर्णिमा पर श्री गुरुवे नम: ....!!
आज से ही मन झूम रहा है ..... कल सावन का पहला दिन .....हरियाला सावन आया .......
उमंग ...उल्लास ...उत्साह से भरा .....
मन का रंग हरा-हरा ....
प्रभु से प्रार्थना है ....यही रंग ...यही उल्लास ...उमंग से हरा भरा रहे .......आप सभी का जीवन ........
छूम छनन नन छन छन ...!!
बहुत खूब, यहाँ तो हरी दूब सूखकर सोना हुई जा रही है, कल शायद कुछ बरसे ...
ReplyDeleteबरसती बूंदों संग झूमता मन.... आह , सुंदर
ReplyDeleteसावन का महिना लगने को है , आपकी रचना ने मन के साथ तन को भी भिगो दिया .....
ReplyDeleteहमारी दिल्ली में अभी भी सूखा पड़ा है इसलिए इस कविता के साथ हम तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं.आप भाग्यशाली हैं जो कविता को यथार्थ में भी जी रही हैं !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!!
ReplyDeleteमन वीणा के तार मिला ले .....
ReplyDeleteकजरी से सुर ताल मिला ले ...
जीवन में अनुराग सजा ले ...!!
मिला तुझे है मानव जीवन ...
रुच रुच इसको भाग जगा ले ....!
मधुर - मधुर अहसासों से भरी रचना ...अंतिम पंक्तियाँ काफी प्रेरक है ....!
बादल की बूंदों में संगीत होता है, लय, छंद और ताल होते हैं। आपने इन सब को इस काव्यात्मक प्रस्तुति में पकड़ा है। शब्द चयन और शिल्प ऐसा है कि बस उन पर मन मयूर नाच उठता है।
ReplyDeleteछन्दमय, टिप टिप बरसती बूँदों जैसा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteआपने तो वर्षा-बूँदों की ताल के साथ अपने छंदों की लय मिला दी - साकार कर दिया नर्तन करते शब्दों में !
ReplyDeleteअति सुन्दर !
सूखा ही गया आषाढ़ , सावन कुछ हरियाये तो बात !
ReplyDeleteवैसे मन का सावन तो भर जेठ भी बरसता ही रहा :)
नृत्य करते शब्दों की सुन्दर रचना !
गुरुपूर्णिमा की बहुत शुभकामनायें !
उल्लास और जीवन से परिपूर्ण रचना.
ReplyDeleteपंक्तियाँ दग्ध ह्रदय को शीतलता प्रदान कर रही है . छन छन बरसती बूंदों की सरगम , शास्त्रीयता और भावनाओ का अनुपम संगम. अब तो बरस ही जाओ मेघा .
ReplyDeleteझूम झूम झन झन ...
ReplyDeleteछूम छनन नन छन छन ...!!
बहुत सुंदर रचना, इसके भाव में मौसम की बहार झलकर रही है
अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 04/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' जुलाई का महीना ''
बहुत आभार सदा जी .
Deleteछनन छन्न सावन का आनंद लीजिये यहाँ तो ठन ठन गोपाल बने हुये हैं .... न मेघ दिखते हैं न आशा जन्म लेती है ... और दो चार दिन में कुछ बुँदे पड़ जाएँ तो कह नहीं सकते ....
ReplyDeleteउल्लास से भरपूर रचना .... इसे तो स्वर में ( गा कर ) पोस्ट करना चाहिए था :):)
:)) बहुत बढ़िया लिखा है दी ..!!
Deleteउधर सुन रहे हैं .... बुरा हाल है ....हम भी मना रहे हैं ...अब तो वर्षा होनी ही चाहिये ....!!
आई ....सावन ऋतू आई ..भरमाई..
ReplyDeleteसुघड़ नार सी बलखाई ..बौराई ...इठलाई ...
फिर ...शरमाई ...!!
फिर घूम घूम ..झूम झूम ...घटा छाई..वाह: बहुत खुबसूरत छन्दमय रचना.. बधाई अनुपमा जी
बहुत ज़रूरत थी इस भीनी-भीनी फूआर की ...
ReplyDeleteआभार!
जैसे बरखा की बूँदें छन छन कर रही हों ... झंकृत कर रही हों धरती की कोख पे ...
ReplyDeleteमस्त कर देने वाली रचना ...
लहर लहर लहराए चुनरिया ....
ReplyDeleteपायल संग उड़े उड़े तन ..............
थिरक थिरक थिरके चितवन ..!!
झूम झूम झन झन ...
छूम छनन नन छन छन ...!!
आपकी कविता पढ़ते पढ़ते ही मन मयूर नाचने लगा...सावन की फुहार में भिगोती सुंदर कविता...
आहा ..झूम झूम के गाता हुआ सा गीत ..मन भी झूम उठा.
ReplyDeleteमन वीणा के तार मिला ले .....
ReplyDeleteकजरी से सुर ताल मिला ले ...
जीवन में अनुराग सजा ले ...!!
मिला तुझे है मानव जीवन ...
रुच रुच इसको भाग जगा ले ....
झूम झूम झन झन कर आ गई ये बरसाती बूँद,
MY RECENT POST...:चाय....
..इतनी प्यारी रचना पढ़ कर यूँ समझो सावन आ ही गया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , मुझे भी याद आ गयी भोजपुरी की लोकप्रिय गीत .......सावन झर लागे हो धीरे- धीरे ...................
ReplyDeleteकल से ही मुंबई में बहुत बारिश हो रही है..
ReplyDeleteअब लग रहा है की,सावन आया है..
बहुत सुन्दर नाचती नचाती रचना...
:-)
मन मयूर हो उठा
ReplyDeleteयह तो संगीत और लय-ताल के बोलों की अनुपम रचना है.
ReplyDeleteध्वन्यात्मक और संगीतात्मक रचना
ReplyDeleteबेहतरीन
वाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है एक आतंकवाद ऐसा भी - अनचाहे संदेशों का ... - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
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उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार
प्रवरसेन की नगरी प्रवरपुर की कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ जीवन के रंग संग कुछ तूफ़ां, बेचैन हवाएं ♥
♥शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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बहुत आभार ललित जी ....!!
Deleteसम्पूर्ण गीत....सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत आभार शिवम ...
ReplyDeleteबेहतरीन गीत
ReplyDeleteसादर
हरियाला सावन ढोल बजाता आया .....नृत्य के बोल संगीत की पूरी खनक झनक छिपाए है यह प्रस्तुति
ReplyDeleteहरियाला सावन ढोल बजाता आया .....नृत्य के बोल संगीत की पूरी खनक झनक छिपाए है यह प्रस्तुति
ReplyDeleteआई ....सावन ऋतू आई ..भरमाई..
सुघड़ नार सी बलखाई ..बौराई ...इठलाई ...
इस खूबसूरत कविता ने रिमझिम फुहारों सा एहसास दिला दिया...
ReplyDeleteहम तो अभी यही गा रहे हैं...आ रे कारे बदरा...मिटा धरती की प्यास...पूरी कर सबकी आसः)
प्यारी प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteछनन नन छन छन...नाच रहा है मन..सुन्दर गीत..
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से आभार ....
ReplyDeleteजीवन हो और जीवन मे उमंग न हो तो वो जीवन ही क्या ...?
सावन आये और मन मयुर न नाचे तो वो सावन ही क्या ..?
आप सभी के जीवन मे ढेर सारी उमंग लाये ...खुशियाँ लाये ये सावन ...!!
bahut sunder.
ReplyDeleteइस गीत से सावन हुआ साकार
ReplyDeletekavita padhte-padhte man-mor nachne laga.....bahar to jhadi lagi hi h man ka saawan bhi hilore lene laga.....sangeetmay,naachti gati rachna...swarbadh karke gaya jaaye to subhaan-allah....badhaiyaan
ReplyDeleteमन वीणा के तार मिला ले .....
ReplyDeleteकजरी से सुर ताल मिला ले ...
जीवन में अनुराग सजा ले ...!!
मिला तुझे है मानव जीवन ...
रुच रुच इसको भाग जगा ले .
आपकी 'छूम छनन नन छन छन ...!!'
ने झमा झम बरसात करवा दी है हमारे यहाँ.
सच में लाजबाब प्रस्तुति है आपकी.
You have used my pencil sketch. Glad it is becoming popular.
ReplyDeleteYou have used my kathak dancer pencil sketch. Thanks for making it popular.
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