ये जीवन एक यात्रा ......एक खोज ,,,,या शायद कुछ भी नहीं ......!!
यही सोचते सोचते एक प्रश्न पीछा करता है मेरा ...''ज्ञान हमे कैसे प्राप्त होता है ...?क्या बहुत पढ़ने से ...?कैसे बढ़ जाती है हमारी समझ ...?इतनी कि उपलब्धियों का अंबार लग जाए ...!!और फिर क्या है ऐसा ,जो फिर भी हमे अपनी जड़ों से जोड़े रखता है ॥!!
कुछ तो है जो ईश्वरीय होता है !!जो हमारी आत्मा लिये चलती है |कुछ पूर्व जन्म के संस्कार शायद ....!!
जीवन जीने का सबका तरीका कितना अलग अलग होता है ...!!हर इंसान की सोच अलग .....ख़्वाहिश अलग .....रास्ते अलग ...!!किन्तु कुछ लोग होते हैं ऐसे जो एक मुलाक़ात मे ही एक अमिट छाप छोड़ देते हैं ...!!जब किसी इंसान से सिर्फ एक बार मिलकर आप कभी न भूलें ....ज़ाहिर है उसमें कुछ तो अलग और बहुत खास होगा ही !
मेरा काव्य संकलन ''अनुभूति'' छप चुका था |मैं गंधर्व महाविद्यालय (दिल्ली का संगीत महाविद्यालय )मे खड़ी उसी विषय पर अपनी मित्र निधि से ''अनुभूति काव्य संग्रह ''की चर्चा कर रही थी | गंधर्व आने वाले लोग कुछ अलग जुनून लिए हुए आते हैं |कुछ जज़्बा अलग .....शायद वहाँ की हवा में ही कुछ है ....जो अपने सपनों के पीछे भागने की ताकत देती है !!
तभी किताबों के संदर्भ में निधि ने कहा ''दी आप वो चाय वाले से मिली हैं जिनकी किताबें छप चुकी हैं ?मुझे लगा मैंने कुछ गलत सुना है ...!!मैंने फिर पूछा ''क्या ?"........
वो कहती है ''हाँ आप नहीं जानतीं ?हाँ हाँ उनकी 24 किताबें छप चुकी हैं |चलिये मैं आपको उनसे मिलवाती हूँ |
मुझे बहुत ताज्जुब हो रहा था उसकी बातें सुन !!तेज़ कदमो से चलते हुए हम पहुँच गए ....लक्ष्मण राव जी के पास !!
इंसान की लगन ,उसकी जिजीविषा ,उसे कहाँ से कहाँ तक पहुंचा देती है |एक छोटी सी चाय की दुकान जिसमे स्वयं लक्ष्मण जी चाय बनाते जा रहे थे और हमसे बात भी करते जा रहे थे |अपने बारे मे बताना शुरू किया ....
''मैं अमरावती डिस्ट्रिक्ट महाराष्ट्र से यहाँ आया |गुलशन नन्दा बहुत पढ़ता था |और गुलशन नंदा ही बनने के सपने लिए यहाँ चला आया |रास्ते में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा |मजदूरी तक की ,पेट भरने के लिए लेकिन ध्येय कभी नहीं भूला | गाँव से मराठी माध्यम से हायर सेकंडरी की फिर दिल्ली से ही बी।ए॰और अब ignou से एम ॰ए (हिन्दी)कर रहे हैं !'अब अपना निजी पब्लिकेशन हाउस भी है |जिसमें अपनी लिखी ही किताबें छापते हैं |दिल्ली आने के बाद ही उन्होने बहुत हिन्दी साहित्य पढ़ा और अपने साहित्यिक ज्ञान को समृद्ध किया |
फेस बुक के इस लिंक पर ...
Laxman Rao इस लिंक पर आपको उनके बारे में बड़ी रुचिकर जानकारी मिल जाएगी |
24 पुस्तकें छप चुकीं है |ढेर सारे पुरस्कार मिल चुके हैं |
शायद ही कोई ऐसा न्यूज़ पेपर होगा जिसमें उनका नाम न छपा हो |
लेकिन अभी भी चाय की दुकान चलती है |उसी आमदनी से घर चलता है |उनका कहना है '' चाय बनाते बनाते ,इन्हीं लोगों से मिलते मिलते मुझे अपनी उपन्यास के पात्र मिल जाते हैं |''
अभी पुनः 12 उपन्यास प्रकाशित हो रहे हैं |6 नए और 6 पुराने |
www.facebook.com/laxmanraowriter
www.facebook.com/ramdas.novel
ये लिंक्स पर उनके बारे मे विस्तृत जानकारी भी है और आप अगर उनकी कोई उपन्यास खरीदना चाहें तो वो भी जानकारी है |
लक्ष्मण राव जी की संघर्ष यात्रा बहुत ही प्रेरक है. उनके बारे में बताने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteहमारे देश में एेसे हीरे हैं जिन्हें हम नहीं जानते । ऐसे एक हीरे से मिलवाने का आभार । आदमी कुछ दिल से करना चाहे तो क्या क्या कर सकता है इसका ज्वलंत उदाहरण हैं लक्ष्मण राव जी ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-08-2013) के चर्चा मंच 1334 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteहृदय से आभार अरुण ....!!
Deleteआपकी प्रार्थना में हम भी शामिल हैं... "उनकी लेखनी को असीम कीर्ति मिले"!
ReplyDeleteइनसे दो वर्ष पहले मुलाक़ात हुई थी ... प्रेरक शख्सियत ।
ReplyDeleteलक्ष्मण राव जी की लेखनी को सलाम,,जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
अविश्वसनीय और सराहनीय व्यक्तित्व ...आभार आपका जो आपने इनके विषय में जानकारी दी ।
ReplyDeletesundra mulaqat
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...इन से हम भी मिल चुके है
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [12.08.2013]
ReplyDeleteचर्चामंच 1335 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
हृदय से आभार सरिता जी ...!!
Deleteजहां चाह वहां राह। प्रेरक व्यक्तित्व के धनी मानी व्यक्ति से रु ब रु करवाया है आपने शुक्रिया।
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक व्यक्तित्व, सलाम है.
ReplyDeleteरामराम.
एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व से परिचय कराने के लिये आभार !
ReplyDeleteलगन और असीम जीवट का व्यक्तित्व ....... वन्दनीय !
ReplyDeleteलक्षमन राव जी का जीवन प्रेरणा देता है ... संघर्ष और कर्म को प्रेरित करते कवि को नमन है ...
ReplyDeleteऐसी ही जीवटवाले लोग अपने सपने साकार कर पाते हैं !
ReplyDeleteनमन जीवट व्यक्तित्वों का।
ReplyDeleteइनका संघर्ष सलाम करने योग्य है..... आभार मिलवाने का
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
ReplyDeleteलक्ष्मण राव जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा..उनके साहित्य प्रेम को नमन..आभार अनुपमा जी उनसे मिलवाने के लिए..
ReplyDeleteलक्ष्मण राव जी के बारे में बताने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteलक्ष्मण राव जी के बारे में पहले भी पढ़ा था, फिर से जानकर अच्छा लगा। वे श्रम का सम्मान ही नहीं करते बल्कि वही उनके जीवनयापन का साधन है यह गर्व की बात है। पिछले दिनों रिक्शा चलाने वाले पत्रकार के बारे मे भी पढ़ा था।
ReplyDeleteइनके संघर्ष को सलाम.... आभार मिलवाने का
ReplyDeleteये लेखक (राव साहब) की जिजीविषा है जो लक्ष्य से भटकी नहीं...वर्ना नून-तेल के चक्कर में सब छूट जाता है...
ReplyDeleteलक्ष्मण राव जी की लेखनी को सलाम !!
ReplyDeleteAapka bahut bahut dhanyawaad Anupama ji...apne blog par mera parichaya dene ke liye. aur shubhkamnaon evam samman ke liye sabhi logon ka bhi dhanyawaad.
ReplyDeleteAapka bahut bahut dhanyawaad Anupama ji...apne blog par mera parichaya dene ke liye. aur shubhkamnaon evam samman ke liye sabhi logon ka bhi dhanyawaad.
ReplyDeleteइसे कहते हैं इच्छा शक्ति ...एक जीता जागता उदहारण ....बहुत ही प्रेरणा दायक....
ReplyDeleteप्रेरक संस्मरण !
ReplyDelete