दुर्गा रूप ....
शक्ति स्वरुप ...
सबल सक्षम ....
समाज की व्यवस्था के .........
दुर्गम पथ पर सहर्ष चलती ...
.....मैं हूँ भारतीय नारी ....
आसक्ति से अनुरक्ति की ओर ....
अनुरक्ति से भक्ति की ओर .....
भक्ति से ही पुरस्कृत होती ...
काँटों में भी ...
मेरा .... खिलता है मन ...
जीता सहर्ष एक सम्पूर्ण जीवन .....!!!!
धुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....
मैं हूँ भारतीय नारी ....!!
**************************************
आइये आज प्रण करें समाज में नारी को मान देंगे ,सम्मान देंगे ,वो स्थान देंगे जिसकी वो हकदार है ......!!कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में आवाज़ उठाएंगे ......!और अपनी भारत माता का मान बढ़ाएँगे .....!!
जय हिन्द ...!!
शक्ति स्वरुप ...
सबल सक्षम ....
समाज की व्यवस्था के .........
दुर्गम पथ पर सहर्ष चलती ...
.....मैं हूँ भारतीय नारी ....
अनुरक्ति से भक्ति की ओर .....
भक्ति से ही पुरस्कृत होती ...
काँटों में भी ...
मेरा .... खिलता है मन ...
जीता सहर्ष एक सम्पूर्ण जीवन .....!!!!
धुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....
मैं हूँ भारतीय नारी ....!!
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आइये आज प्रण करें समाज में नारी को मान देंगे ,सम्मान देंगे ,वो स्थान देंगे जिसकी वो हकदार है ......!!कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में आवाज़ उठाएंगे ......!और अपनी भारत माता का मान बढ़ाएँगे .....!!
जय हिन्द ...!!
आपने बिलकुल सही कहा , हमें मान सम्मान और वो हक उनको देना चाहिए जिसकी वो हकदार है, नारी शक्ति को नमन
ReplyDeleteनिश्चय ही सबके सत्य उठें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
बहुत खूब बहुत खूब। चित्र भी काव्य चित्र भी।
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट आज के (१४ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - जय हो मंगलमय हो पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteहृदय से आभार तुषार राज जी ....इस शुभावसर पर मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन मे लिया ....!!
Deleteसुंदर चित्र और बढिया प्रस्तुति । हम भी हैं आपके साथ कन्या के साथ ।
ReplyDeleteनवीन शुभप्रभात
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनायें
नारी हर रूप में पूज्यनीय हैं |
ReplyDeleteभारतीय नारी का सम्पूर्ण जीवन परिभाषित हुआ !
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावी और असर छोडती रचना, हमने तो पहले से ही प्रण किया हुआ है आज दोहरा लेते हैं.
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ.
रामराम.
Bahut achha chitran!!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..चित्र और रचना दोनों ही लाजवाब. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
ReplyDeleteअतिसुन्दर ,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteकविता के कथ्य से पूरी तरह सहमत हूँ. सुन्दर आह्वान.
ReplyDeleteजय हिन्द!
ReplyDeleteधुरी परिवार की .....
ReplyDeleteसमाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ..
गहन .... सब कुछ समेटे भाव
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteगहनता लिये अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteधुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....
मैं हूँ भारतीय नारी ....!!
धुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....
मैं हूँ भारतीय नारी ....!!
धुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....
मैं हूँ भारतीय नारी ....!!
ReplyDeleteजीजिविषा इसी का नाम है। बिंदास अंदाज़ यही है लोक संस्कृति और अलहड़ पण भी यही है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
ReplyDeleteपर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra
हिंदी ब्लॉग समूह
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभारतीय नारी ब्रह्मांड की धुरी है लेकिन पुरुष इसी धुरी को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाता है .... विचारोत्तेजक रचना
ReplyDeleteआभार आप सबकी टिप्पणी का....घर गृहस्थी के बीच बड़ी मुश्किल से मिल पाता है समय कि कोई भी स्त्री अपने मन का कुछ काम कर सके ...!!
ReplyDelete.ऐसी ही गृहस्थी की उलझनों के बीच ही खिलता है किसी भी स्त्री का व्यक्तिव...फूल की तरह ....!!
इसी भाव से लिखी है कविता ....!!
भारतीय नारी का भवपूर्ण एवं यथार्थ चित्रण किया है आपने। ये पंक्तियाँ स्मरणीय बन गई हैं-आसक्ति से अनुरक्ति की ओर ....
ReplyDeleteअनुरक्ति से भक्ति की ओर .....
भक्ति से ही पुरस्कृत होती ...
काँटों में भी ...
मेरा .... खिलता है मन ...
जीता सहर्ष एक सम्पूर्ण जीवन .....!!!!
beautiful :)
ReplyDeleteएक दम सही .....सार्थक अभिव्यक्ति
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