नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

16 July, 2021

फिर वहीं !!






 चंचलता  और स्थितप्रज्ञता 

कम्पन  और  स्थिरता 

संरक्षण और जिज्ञासा 

प्रयत्न और फल की आशा 

प्रत्युषा और निशा 

तृप्ति और  पिपासा 

दो रूप ,किन्तु 

एक ही स्वरुप -

जीवन .......!!


वसुंधरा की गोलाई नापते 

आदि और अन्त के पड़ाव पर 

अनंत की ओर अग्रसर 

कभी मूक कभी वाचाल 

समय तुम और मैं 

निरंतर चलते अपनी चाल 

रह रह कर पहुंचते 

फिर कहीं फिर कहीं 

फिर वहीं !!


अनुपमा त्रिपाठी 

 "सुकृती "


13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 18 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना के चयन हेतु हृदय से आभार आपका यशोदा!

      Delete
  2. इन्हीं ध्रुवों में डोलता जीवन..
    सुन्दर वर्णन..

    ReplyDelete
  3. अनंत की ओर अग्रसर , बस यही बचा जीवन है ।

    सुंदर कृति ।

    ReplyDelete
  4. " दो रूप ,किन्तु
    एक ही स्वरुप -
    जीवन .......!!" .. मानव जीवन के साथ-साथ समस्त संवेदनशील प्राणियों का एक शाश्वत सत्य .. दार्शनिकता की चाशनी में पगी रचना .. शायद ...

    ReplyDelete
  5. तृप्ति और पिपासा

    दो रूप ,किन्तु

    एक ही स्वरुप -

    जीवन .......!!अच्छी रचना

    ReplyDelete
  6. तृप्ति और पिपासा

    दो रूप ,किन्तु

    एक ही स्वरुप -

    जीवन .......!!
    बहुत खूब,दो शब्दों में जीवन सार,सादर

    ReplyDelete
  7. चंचलता और स्थितप्रज्ञता
    कम्पन और स्थिरता

    संरक्षण और जिज्ञासा

    प्रयत्न और फल की आशा

    प्रत्युषा और निशा

    तृप्ति और पिपासा

    दो रूप ,किन्तु

    एक ही स्वरुप -

    जीवन .......!!जीवन की सुंदर अद्भुत परिभाषा,सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ अनुपमा जी।

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सुंदर

    ReplyDelete
  9. वाह , बहुत खूब !

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  11. प्रत्युषा और निशा

    तृप्ति और पिपासा

    दो रूप ,किन्तु

    एक ही स्वरुप -

    बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!