शब्द चुनकर
मन की विचारधारा में
बहने का प्रयास ,
क्षण गुणकर ,
रंग बुनकर ,
जीवन सा ,
खिल उठने का प्रयास ,
व्याप्त व्यथा ,
नदी की कथा ,
कहते और कहते रहने का प्रयास ,
तुम हम में बसी
आत्मा को जीवित रखने का प्रयास ,
और नहीं तो क्या ,
कविता ही तो है !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
आपकी लिखी रचना सोमवार 13 जून 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आदरणीय संगीता दी सादर नमस्कार ,
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने हेतु !!
बहुत सही
ReplyDeleteतभी तो वह कविता है
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीय अनीता सैनी जी नमस्कार,
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने हेतू!!
सुंदर रचना
ReplyDeleteजीवन के रंगों को गूढ़ भावयुक्त शब्दों में बाँधने का प्रयास कविता ही है।
ReplyDeleteसुंदर प्रयास।
सादर।
बहुत बहुत सुंदर अनुपमा जी।
ReplyDeleteकवि के लिए तो कविता संसार की हर भावना का स्रोत है।
अप्रतिम।
वाह ! कविता की अनूठी व्याख्या !
ReplyDeleteवाह…बहुत खूब
ReplyDeleteकहते और कहते रहने का प्रयास... कविता !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
..
ReplyDeleteअद्भुत कविता अनुपमा जी
ReplyDeleteकविता को परिभाषित करता सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर भाव!!!
ReplyDeleteवह! बहुत सुंदर भाव!!
ReplyDeleteठीक कहा आपने अनुपमा जी। कवि-हृदय का प्रत्येक भाव कविता ही होता है चाहे अभिव्यक्ति का रूप कोई भी हो।
ReplyDeleteवाह! गागर में सागर सी आपकी लघु कविता, जीवन के सुंदरतम उद्देश्य की तरफ़ इंगित करती चलती है
ReplyDeleteबेशक ! कविता ही है ।
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