नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

01 June, 2021

पुलकिता !!

 



अजेय भास्कर की किरणों से ,

अनंत समय की वीथिका में ,

सहिष्णु  धारा  सा बहता जीवन ,


भोर से उदीप्त है स्नेह से प्रदीप्त है ,

रात्रि  की नीरवता में गुनता है  स्निग्धता


चन्द्र  से झरती प्रगल्भ ज्योत्स्ना  की

 विमल विभा पाता ,विभुता सा लहलहाता !


व्योम से मुझ तक ऐश्वर्य से पुलकित,

स्निग्ध  रात की कहानी कहता 

मेरा मन ,हाँ    …

ऐसे ही तो  तुम्हें मुझसे जोड़ता है ,

नयनो से  हृदय तक ,

तुम्हारी  स्निग्ध  शीतलता पाती मैं,


पुलक से आकण्ठ जब भर उठती हूँ ,

तब कहलाती हूँ तुम्हारी पुलकिता !!


अनुपमा त्रिपाठी 

    " सुकृति  "


14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. मेरा मन ,हाँ …

    ऐसे ही तो तुम्हें मुझसे जोड़ता है ,

    नयनो से हृदय तक ,

    तुम्हारी स्निग्ध शीतलता पाती मैं,----बहुत अच्छी और गहरी पंक्तियां।

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-06-2021को चर्चा – 4,085 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  5. आपका सादर धन्यवाद दिलबाग सिंह विर्क जी !

    ReplyDelete
  6. अस्तित्व के उछाह को यथारूप व्यक्त करती पुलकिता

    ReplyDelete
  7. मन को जब ऐसे भाव मिलें तो क्यों न हो पुलकिता ।
    बहुत सुंदर रचना ।।

    ReplyDelete
  8. भक्ति और प्रेम से आप्लावित पंक्तियाँ!

    ReplyDelete
  9. प्रकृति के सौन्दर्य से रँगों और भावों को उकेर कर लिखा है आपने ...
    बहुत मधुर काव्य ...

    ReplyDelete
  10. बहुत कोमल भाव, प्रकृति-सी खिली खिली रचना. बधाई.

    ReplyDelete
  11. सुन्दर भावों का अनूठा सृजन ।

    ReplyDelete
  12. यही है मन की शक्ति...खुबसूरत शब्द...

    ReplyDelete
  13. बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
    न जाने क्यों आपका सृजन मेरी आँखों से छूट गया।
    सादर

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!