''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
कृष्णा की बांसुरी भई
गलियन गलियन
कूल कूल कूजित ,
संग संग
कोकिल के नव गान से ,
भ्रमर की नव राग से ,
ज्योतिर्मय आभा की हुलास से
मयूर के उल्लास से
राधिका के अनुराग से
सृष्टि पूरित !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
सर्वं सुमधुरं कृष्णं
कृष्ण को समर्पित सुंदर भाव भरी रचना।
अत्यंत भावपूर्ण सृजन प्रिय अनुपमा जी।-----तेरी मुरली की तान पे सुध बुध बिसराने देलगा अधर मुरलिया मोहे तू जग बिसराने दे।----सस्नेह।
कृष्ण का भाव ही प्रेम है, अनुभूति है, प्राकृति है ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
मन हुआ मुदित अपरिमित हुलास से । अति सुन्दर सुकृति ।
बहुत सुन्दर कृष्णा रचना
बाँसुरी के स्वर में इतनी विविध चेतनाओं का संचार है तभी तो सुनने वाला मोहित, भ्रमित होकर दीवाना होता है।सुंदर भाव सृजन।
. बहुत खूब..
वाह! कृष्णमयी रचना
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
सर्वं सुमधुरं कृष्णं
ReplyDeleteकृष्ण को समर्पित सुंदर भाव भरी रचना।
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण सृजन प्रिय अनुपमा जी।
ReplyDelete-----
तेरी मुरली की तान पे
सुध बुध बिसराने दे
लगा अधर मुरलिया
मोहे तू जग बिसराने दे।
----
सस्नेह।
कृष्ण का भाव ही प्रेम है, अनुभूति है, प्राकृति है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
मन हुआ मुदित अपरिमित हुलास से । अति सुन्दर सुकृति ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कृष्णा रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कृष्णा रचना
ReplyDeleteबाँसुरी के स्वर में इतनी विविध चेतनाओं का संचार है तभी तो सुनने वाला मोहित, भ्रमित होकर दीवाना होता है।
ReplyDeleteसुंदर भाव सृजन।
ReplyDelete. बहुत खूब..
वाह! कृष्णमयी रचना
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