''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
पसरे हुए सन्नाटे के बीच
मुझसे बोलता हुआ अनहद
कुछ मुझको दे गया
जड़ से चेतना ,
संवाद से संवेदना ,
का मार्ग प्रशस्त कर ,
लहरों से बोलता हुआ समुद्र
यूँ ही मुझ तक आ गया !!
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है यह्। मुझे भी समुद्र के किनारे खड़े रहकर लहरों को निहारने का शौक़ है और मुझे भी ऐसी ही कुछ अनुभूतियां उस समय होती हैं।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 10 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हृदय से धन्यवाद आदरणीय दिग्विजय जी ।मेरी रचना को इस मंच पर स्थान दिया गौरवांवित हूँ ।
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-8-21) को "बूँदों की थिरकन"(चर्चा अंक- 4152) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। -- कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी आपने मेरी रचना का चयन किया चर्चा अंक के लिए ।
सागर किनारे...सुंदर भावों और एहसासों का उत्कृष्ट सृजन।
अनन्त तरंग, अनवरत। न जाने क्या कहना चाहे सागर। रोचक भाव।
सुंदर सृजन..।
वाह , अब समुद्र ने भी पहुँच बना ली । बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत सुंदर रचना
वाह बढिया है।
गहरा एहसास जीएवन का .. लहरों के माध्यम से बहुत कहा जाता है ... संवाद हो जाता है ...
गहन रचना बहुत कुछ, कम शब्दों में बयां करती हुई - - अभिनन्दन आदरणीया।
नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है यह्। मुझे भी समुद्र के किनारे खड़े रहकर लहरों को निहारने का शौक़ है और मुझे भी ऐसी ही कुछ अनुभूतियां उस समय होती हैं।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 10 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आदरणीय दिग्विजय जी ।मेरी रचना को इस मंच पर स्थान दिया गौरवांवित हूँ ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-8-21) को "बूँदों की थिरकन"(चर्चा अंक- 4152) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी आपने मेरी रचना का चयन किया चर्चा अंक के लिए ।
Deleteसागर किनारे...सुंदर भावों और एहसासों का उत्कृष्ट सृजन।
ReplyDeleteअनन्त तरंग, अनवरत। न जाने क्या कहना चाहे सागर। रोचक भाव।
ReplyDeleteसुंदर सृजन..।
ReplyDeleteवाह , अब समुद्र ने भी पहुँच बना ली । बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह बढिया है।
ReplyDeleteगहरा एहसास जीएवन का .. लहरों के माध्यम से बहुत कहा जाता है ... संवाद हो जाता है ...
ReplyDeleteगहन रचना बहुत कुछ, कम शब्दों में बयां करती हुई - - अभिनन्दन आदरणीया।
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