नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

07 November, 2011

अब तो बेड़ा पार करो खेवैया ...!!

     प्रभु तुम ..
हो दयाल ..रहो कृपाल ..
यूँ बसो सदा ही ..
मन  में मेरे ...

देख सको अपनी चितवन से  ..
सांझ -सबेरे मुझे जतन से ...
नित मन क्यों घिरता अंधड़ से ...?
नहीं दूर हुई तुमरे सिमरन से ...!!


लीन तुम्हारे प्रेम में प्रभु ...
भय से व्याकुल फिर क्यों होती ...?
painted by:Pragya Singh.
नित  ही  भय  की मन में चलती...
आंधी  से फिर क्यों   घिर  जाती  ...?
 धूल धूसरित क्यों   हो जाती...?
क्यों निर्भीक नहीं हो पाती.....?
एक अजब से डर से डगमग ..
क्योंकर डोले जीवन नैया ...?
अब तो अभय  दान  दो प्रभु .......
राखो लाज हमारी,गिरधारी ...
बेड़ा पार करो खेवैया ....
हे बंसी बजैया ...!!
*कृपया एक नज़र इधर भी डालें...http://swarojsurmandir.blogspot.com/

32 comments:

  1. जब सब तेरा, घर में डेरा,
    क्यों तब छाये अंध घनेरा।

    ReplyDelete
  2. राधा ऐसी भई श्याम की दीवानी
    की ब्रिज की कहानी हो गयी......

    ReplyDelete
  3. गिरधारी सुनेगे प्रार्थना ..सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. करबद्ध प्रार्थना करती कविता कितनी सुन्दर है!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

    ReplyDelete
  6. सुन्दर भक्तिमयी रचना...
    सादर बधाइयां....

    ReplyDelete
  7. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  8. अब तो अभय दान दो प्रभु .......
    राखो लाज हमारी,गिरधारी ...
    बेड़ा पार करो खेवैया ....
    हे बंसी बजैया ...!!wo ansuna nahi karta kabhi

    ReplyDelete
  9. सुंदर स्तुति गिरधारी की.....

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर रचना
    बधाई

    ReplyDelete
  11. बेड़ा पार करो खेवैया ....
    हे बंसी बजैया ...!!
    *कृपया एक नज़र इधर भी

    हम भी इस गुहार में शामिल हैं।

    ReplyDelete
  12. सुंदर भक्तीमय अच्छी पोस्ट बधाई ...
    मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...

    ReplyDelete
  13. आपके संग हम भी इस प्रार्थना में डूब गए..आपका आभार

    ReplyDelete
  14. मीरा के सुन्दर बोल की तरह है! very beautiful..

    ReplyDelete
  15. इश्वर के सत्संग में आ कर हर दर से मुक्ति मिल जाती है ... सुन्दर प्रार्थना ...

    ReplyDelete
  16. बहुत बढ़िया लिखा है.

    ReplyDelete
  17. बहुत सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  18. देख सको अपनी चितवन से ..
    सांझ -सबेरे मुझे जतन से ...
    नित मन क्यों घिरता अंधड़ से ...?
    नहीं दूर हुई तुमरे सिमरन से ...!!
    ख़ूबसूरत पंक्तियाँ ! शानदार अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना! बधाई!

    ReplyDelete
  19. जीवन की दुविधा का सटीक चित्रण करती ये पोस्ट शानदार लगी |

    ReplyDelete
  20. हृदय से निकली प्रार्थना ! बहुत भाव भीनी पंक्तियाँ !

    ReplyDelete
  21. भक्तिमयी सुन्दर रचना..

    ReplyDelete
  22. दिल के भावों को छू लेने वाली सुन्दर अभिवयक्ति |

    ReplyDelete
  23. इस प्रार्थना में मेरा साथ दिया ....आप सभी का आभार ...!!

    ReplyDelete
  24. mujhe apki rachnaye bahut achchci lagi,,,,,mujhe bhi kahaniya aur rachanye likhane ke liye koi tips dijiye..pls ..
    my Email-id :- dp4241@gmail.com
    pe apna tips jaroor dijiyega ,,pls/

    date :12/11/2011

    ReplyDelete
  25. mujhe apki rachnaye bahut achchci lagi,,,,,mujhe bhi kahaniya aur rachanye likhane ke liye koi tips dijiye..pls ..
    my Email-id :- dp4241@gmail.com
    pe apna tips jaroor dijiyega ,,pls/

    date :12/11/2011

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!