हो दयाल ..रहो कृपाल ..
यूँ बसो सदा ही ..
मन में मेरे ...
नित मन क्यों घिरता अंधड़ से ...?
नहीं दूर हुई तुमरे सिमरन से ...!!
लीन तुम्हारे प्रेम में प्रभु ...
भय से व्याकुल फिर क्यों होती ...?
नित ही भय की मन में चलती...आंधी से फिर क्यों घिर जाती ...?क्यों निर्भीक नहीं हो पाती.....?
नहीं दूर हुई तुमरे सिमरन से ...!!
लीन तुम्हारे प्रेम में प्रभु ...
भय से व्याकुल फिर क्यों होती ...?
painted by:Pragya Singh. |
एक अजब से डर से डगमग ..
क्योंकर डोले जीवन नैया ...?
अब तो अभय दान दो प्रभु .......
राखो लाज हमारी,गिरधारी ...
राखो लाज हमारी,गिरधारी ...
बेड़ा पार करो खेवैया ....
हे बंसी बजैया ...!!
*कृपया एक नज़र इधर भी डालें...http://swarojsurmandir.blogspot.com/
हे बंसी बजैया ...!!
*कृपया एक नज़र इधर भी डालें...http://swarojsurmandir.blogspot.com/
जब सब तेरा, घर में डेरा,
ReplyDeleteक्यों तब छाये अंध घनेरा।
राधा ऐसी भई श्याम की दीवानी
ReplyDeleteकी ब्रिज की कहानी हो गयी......
गिरधारी सुनेगे प्रार्थना ..सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकरबद्ध प्रार्थना करती कविता कितनी सुन्दर है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
sarthak prathna.....
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteसुन्दर ...
ReplyDeleteसुन्दर भक्तिमयी रचना...
ReplyDeleteसादर बधाइयां....
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! सूचनार्थ!
ReplyDeleteअब तो अभय दान दो प्रभु .......
ReplyDeleteराखो लाज हमारी,गिरधारी ...
बेड़ा पार करो खेवैया ....
हे बंसी बजैया ...!!wo ansuna nahi karta kabhi
सुंदर स्तुति गिरधारी की.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबधाई
बेड़ा पार करो खेवैया ....
ReplyDeleteहे बंसी बजैया ...!!
*कृपया एक नज़र इधर भी
हम भी इस गुहार में शामिल हैं।
radhe radhe.....
ReplyDeletebahut sunder pukar.
ReplyDeleteसुंदर भक्तीमय अच्छी पोस्ट बधाई ...
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...
आपके संग हम भी इस प्रार्थना में डूब गए..आपका आभार
ReplyDeleteमीरा के सुन्दर बोल की तरह है! very beautiful..
ReplyDeletebahut sundar bhaktimay geet.
ReplyDeleteइश्वर के सत्संग में आ कर हर दर से मुक्ति मिल जाती है ... सुन्दर प्रार्थना ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteदेख सको अपनी चितवन से ..
ReplyDeleteसांझ -सबेरे मुझे जतन से ...
नित मन क्यों घिरता अंधड़ से ...?
नहीं दूर हुई तुमरे सिमरन से ...!!
ख़ूबसूरत पंक्तियाँ ! शानदार अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना! बधाई!
जीवन की दुविधा का सटीक चित्रण करती ये पोस्ट शानदार लगी |
ReplyDeleteहृदय से निकली प्रार्थना ! बहुत भाव भीनी पंक्तियाँ !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteभक्तिमयी सुन्दर रचना..
ReplyDeleteदिल के भावों को छू लेने वाली सुन्दर अभिवयक्ति |
ReplyDeleteइस प्रार्थना में मेरा साथ दिया ....आप सभी का आभार ...!!
ReplyDeletemujhe apki rachnaye bahut achchci lagi,,,,,mujhe bhi kahaniya aur rachanye likhane ke liye koi tips dijiye..pls ..
ReplyDeletemy Email-id :- dp4241@gmail.com
pe apna tips jaroor dijiyega ,,pls/
date :12/11/2011
mujhe apki rachnaye bahut achchci lagi,,,,,mujhe bhi kahaniya aur rachanye likhane ke liye koi tips dijiye..pls ..
ReplyDeletemy Email-id :- dp4241@gmail.com
pe apna tips jaroor dijiyega ,,pls/
date :12/11/2011