बिन मांगे मोती मिले ,
कविता ऐसे ही मिल जाती है कभी !
जब मांगती रहती हूँ ईश्वर से ,न कविता आती है ,न भाव !!
***************
प्रीत के इक पल को
आँखों में पिरो लो,
मुक्ता सी बनके हृदय में ,
जा बसें ,
छलके न कोरों से कभी ,
हृदय में जो
बस चली अनुभूति तो ,
अभिभूत हो लो,
जानने से प्रेम को,
दे सको गर प्रेम ही ,
तो संजो लो..!!
परखने से ,तौलने से ,
फिर बढ़ाते वर्जना क्यों ...
मेरे वंदन को समझकर,
जानकर और मानकर भी ,
दूर जाना है अगर ,
फिर मेरे पथ के वही
अनजान से,
मासूम से राही रहो तुम ...!!!
ये मेरा अनुराग बिसराओ न ,
देखो,
सुनो ,समझो ......!!
क्या कहने की ये वेदना है ,
संवाद से संवेदना है !
संवेदना मेरी संजो लो ...... !!
संवेदना मेरी संजो लो ...... !!
तब बांचो अनमोल कथाएं ,
रहने दो …न जानो मुझको ,
बड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति"
बड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति"
हृदय में जो बस चली अनुभूति तो अभिभूत हो लो,
ReplyDeleteजानने से प्रेम को दे सको गर प्रेम ही तो संजो लो।
लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ आपकी कविता में भरे जज़्बात को समझने की कोशिश कर रहा हूँ। ऐसी बातें सीधे दिल से निकलती हैं और (कम-से-कम कहने वाले के लिए) अनमोल होती हैं।
रहने दो …न जानो मुझको ,
ReplyDeleteबड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!!
व्यथाओं का मूल ही तो नहीं मिलता है। मिल जायें तो मिट जायें।
सुंदर भावप्रवण रचना
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-06-2021) को 'भाव पाखी'(चर्चा अंक- 4101) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
अनिता सुधीर
आपका सादर धन्यवाद ,अनीता सुधीर जी |
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन मन को छूते भाव।
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteसुंदर भाव ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
संवाद से संवेदना है !
ReplyDeleteसंवेदना मेरी संजो लो ...... !!
तब बांचो अनमोल कथाएं ,
रहने दो …न जानो मुझको ,
बड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!
सुंदर भावाभिव्यक्ति ,सादर नमन
बहुत सुंदर क्षणिकाएं है गहन भावों को समेटे।
ReplyDeleteअभिनव सृजन।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार 21 जून 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।संगीता स्वरूप
सादर धन्यवाद दी!
Deleteजानने से प्रेम को,
ReplyDeleteदे सको गर प्रेम ही ,
तो संजो लो..!!
सुँदर भाव🌹
बहुत सुन्दर रचना. कई सारे भाव एक साथ मन में छा गए. बधाई.
ReplyDeleteये मेरा अनुराग बिसराओ न ,
ReplyDeleteदेखो,
सुनो ,समझो ......!!
क्या कहने की ये वेदना है ,
संवाद से संवेदना है !
संवेदना मेरी संजो लो ...... !!
तब बांचो अनमोल कथाएं ,
रहने दो …न जानो मुझको ,
बड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!!
...वाह, सुंदर अहसासों को सुंदर भावों में पिरोती उत्कृष्ट कृति....
अति सुंदर भावपूर्ण सृजन।
ReplyDeleteप्रणाम
सादर।
परखने से ,तौलने से ,
ReplyDeleteफिर बढ़ाते वर्जना क्यों ...
मेरे वंदन को समझकर,
जानकर और मानकर भी ,
दूर जाना है अगर ,
फिर मेरे पथ के वही
अनजान से,
मासूम से राही रहो तुम ...!!!
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण लाजवाब भावाभिव्यक्ति।
सुनो ,समझो ......!!
ReplyDeleteक्या कहने की ये वेदना है ,
संवाद से संवेदना है !
संवेदना मेरी संजो लो ...... !!
तब बांचो अनमोल कथाएं ,
रहने दो …न जानो मुझको ,
बड़ी निर्मूल हैं मेरी व्यथाएं ……!!
ये प्रेम भी न जाने कैसे कैसे भाव व्यक्त करता है ।
हर भाव को सुंदरता से गढ़ा है । बहुत सुंदर ।