नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

15 June, 2021

नव गीत


पृथक राह के अथक प्रयास ,
बाँध गए जीवन की डोर,
शुभ आशीष बरसता जैसे 
नाच रहा है मन का मोर 

कण कण पर रिमझिम सी बूँदें 
लाइ हैं संदेस अनमोल 
प्रकट हुआ आह्लाद ह्रदय का ,
ऐसे आई नवल विभोर 

बूंदों की रिमझिम में साजन 
सजनी का श्रृंगार वही 
प्रकृति ओढ़े हरियाली 
है सावन का राग वही 

आओ मिलकर अब हम कोई 
गीत रचें नया नया 
छायी हरियाली है जैसे 
प्रीत का रंग नया नया 

बूंदों के अर्चन में गाती 
राग कोई वसुंधरा 
नाद सुनहरी ऐसे गूँजे 
रोम रोम है पुलक भरा 

भीगी धरती अब हुलसाती 
बूँदों में रुनझुन गुण गाती 
किसलय के फिर नवल सृजन में 
सभी के मन को खूब लुभाती 

अनुपमा त्रिपाठी
    'सुकृति'

14 comments:

  1. भीगी धरती अब हुलसाती
    बूंदों में रुनझुन गुण गाती
    किसलय के फिर नवल सृजन में
    सभी के मन को खूब लुभाती
    ...बरखा रानी और प्रकृति का मनोरम दृश्य,सुंदर रचना,मन को लुभा गई।

    ReplyDelete
  2. रिमझिम बरसते बदरा धरती को नए-नए रूपों से सजा लेते हैं

    बहुत सुन्दर रिमझिम बरसती बूंदों से सजी रचना

    ReplyDelete
  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०६-२०२१) को 'स्मृति में तुम '(चर्चा अंक-४०९७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद अनीता सैनी जी |

      Delete
  4. वर्षा ऋतु में धरा के कण-कण पर बहार आ रही है, सुंदर वर्णन !

    ReplyDelete
  5. कण कण पर रिमझिम सी बूँदें
    लाइ हैं संदेस अनमोल
    प्रकट हुआ आह्लाद ह्रदय का ,
    ऐसे आई नवल विभोर
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब मनभावन नवगीत।

    ReplyDelete
  6. बूंदों के अर्चन में गाती 

    राग कोई वसुंधरा 

    नाद सुनहरी ऐसे गूंजे 

    रोम रोम है पुलक भरा 

    बहुत ही लाजवाब सृजन

    ReplyDelete
  7. बूंदों के अर्चन में गाती
    राग कोई वसुंधरा
    नाद सुनहरी ऐसे गूंजे
    रोम रोम है पुलक भरा
    मनमोहक सृजन ।

    ReplyDelete
  8. सुंदर रचना

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर, मनोहारी रचना है यह; सावन के आगमन की अनुभूति करवाती हुई।

    ReplyDelete
  10. यही नवीनता जीवन को गति दिये रहती है, सुन्दर पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर सृजन

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर सृजन

    ReplyDelete
  13. ये सावन अभी भी गायब है ।

    सुंदर शब्दावली , सुंदर भाव ।

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!