चलते चलते इन राहों पर ...
कुछ रुकने की भी बात करो..
तूफानों का मौसम है ..
कुछ थमने की भी बात करो ...!
चुप चुप से क्यों बैठे हो ...
खुशियों का तराना छेड़ भी दो ..
अंदाज़ ए बयाँ अब बदलो भी .. ..
ये बुत सा नखरा छोड़ भी दो ..!
आओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
कुछ मन की बातें बोल भी लें ..
भूलें-बिसरें बीती बातें ...
वो सोच में डूबी सी रातें ..!
यादें मन को जो देतीं शूल...
एक पल में उनको जाएँ भूल...
ये मौन धरा का देता है ....
झींगुर की सुमधुर तान छेड़ ..
नदिया की कल-कल देती है ..
सुर को एक सुंदर ताल मेल...!
कुछ लहरें .. लेकर लहरों से
ये पवन दीवाना बहता है ..
लहर-लहर लहराए यहाँ ...
है आज यहाँ ,कल जाये कहाँ ..
हमसे-तुमसे ये कहता है ..!
हम साथ जो ऐसे बैठे हैं ..
यही आज ख़ुशी का है अवसर .. ..
वो गीत मेरे जो तुम से हैं ...
वो प्रीती मेरी जो तुमसे है ..
वही राग पुराना छेड़ो भी ..
कुछ मुस्काने की बात करो .....!!
चलते चलते इन राहों पर..
कुछ रुकने की भी बात करो ......!!!!
कुछ रुकने की भी बात करो..
तूफानों का मौसम है ..
कुछ थमने की भी बात करो ...!
चुप चुप से क्यों बैठे हो ...
खुशियों का तराना छेड़ भी दो ..
अंदाज़ ए बयाँ अब बदलो भी .. ..
ये बुत सा नखरा छोड़ भी दो ..!
आओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
कुछ मन की बातें बोल भी लें ..
भूलें-बिसरें बीती बातें ...
वो सोच में डूबी सी रातें ..!
यादें मन को जो देतीं शूल...
एक पल में उनको जाएँ भूल...
ये मौन धरा का देता है ....
झींगुर की सुमधुर तान छेड़ ..
नदिया की कल-कल देती है ..
सुर को एक सुंदर ताल मेल...!
कुछ लहरें .. लेकर लहरों से
ये पवन दीवाना बहता है ..
लहर-लहर लहराए यहाँ ...
है आज यहाँ ,कल जाये कहाँ ..
हमसे-तुमसे ये कहता है ..!
हम साथ जो ऐसे बैठे हैं ..
यही आज ख़ुशी का है अवसर .. ..
वो गीत मेरे जो तुम से हैं ...
वो प्रीती मेरी जो तुमसे है ..
वही राग पुराना छेड़ो भी ..
कुछ मुस्काने की बात करो .....!!
चलते चलते इन राहों पर..
कुछ रुकने की भी बात करो ......!!!!
ये मौन धरा का देता है ....
ReplyDeleteझींगुर की सुमधुर तान छेड़ ..
नदिया की कल-कल देती है ..
सुर को एक सुंदर ताल मेल...!
बहुत सुंदर ...मुस्काने की बात होगी तो राहें और आसान हो जायेंगीं.....
क्या बात है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteआओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
कुछ मन की बातें बोल भी लें ..
बहुत सुन्दर गीत ...
ReplyDeleteचलते चलते इन राहों पर..
कुछ रुकने की भी बात करो ....
आज भाग दौड की ज़िंदगी हो गयी है ... बैठा कर आराम से बात भी नहीं होती ..
बैठ कहीं एकान्त अन्त में हम जीवन प्रारम्भ करें अब..
ReplyDeleteआओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
ReplyDeleteकुछ मन की बातें बोल भी लें ..
बहुत सही ...
Waah ...!!
ReplyDeleteSunder rachna sukh ki anubhuti ke saath.
Bahut aabhaar. . . !!
भावों से नाजुक शब्द......बेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeleteचलते चलते इन राहों पर ...
ReplyDeleteकुछ रुकने की भी बात करो..
तूफानों का मौसम है ..
कुछ थमने की भी बात करो ...!
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
बहुत बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteवो गीत मेरे जो तुम से हैं ...
वो प्रीती मेरी जो तुमसे है ..
बहुत प्यारी रचना.
चुप चुप से क्यों बैठे हो ...
ReplyDeleteखुशियों का तराना छेड़ भी दो ..
अंदाज़ ए बयाँ अब बदलो भी .. ..
ये बुत सा नखरा छोड़ भी दो ..!
बहुत सुंदर रचना है.
बहुत सुन्दर गज़ब के अहसास और लय.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पोस्ट|
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteGyan Darpan
.
अनुपमा जी,...सुंदर लयकारी से बनी भावपूर्ण खुबशुरत रचना,..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति,....बधाई
मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeletehan bas ek baar ye naaz..nakhron ki dewaar hat jaye to baaki sab apne aap ho jayega.
ReplyDeletesunder abhivyakti.
आओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
ReplyDeleteकुछ मन की बातें बोल भी लें ..
vah Anupama ji sadar badhai ...
"हम साथ जो ऐसे बैठे हैं ,
ReplyDeleteयही आज खुशी का अवसर है "पंक्ति बहुत अच्छी लगी
बहुत भाव पूर्ण रचना |
आशा
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
bahut hi marmsparshi rachna****** badhai
ReplyDeleteसुन्दर भाव संयोजन्।
ReplyDeleteये मौन धरा का देता है ....
ReplyDeleteझींगुर की सुमधुर तान छेड़ ..
नदिया की कल-कल देती है ..
सुर को एक सुंदर ताल मेल...!
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ।
सादर
हम साथ जो ऐसे बैठे हैं ..
ReplyDeleteयही आज ख़ुशी का है अवसर .. ..
वो गीत मेरे जो तुम से हैं ...
वो प्रीती मेरी जो तुमसे है ..
वही राग पुराना छेड़ो भी ..
कुछ मुस्काने की बात करो .....!!
वाह बहुत खूब... आज मुस्काने और गाने की ही जरूरत है..बहुत सुंदर गीत!
bahut sundar prempurn abhivykti....
ReplyDeleteBahut hi sundar prastuti.....
ReplyDeleteMuskane ki baat karo....kya baat hai...behtareen
बहुत ही खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteवाह.... सादर बधाई ...
बहुत सुन्दर खूबसूरत गीत ...
ReplyDeleteते चलते इन राहों पर ...
ReplyDeleteकुछ रुकने की भी बात करो..
तूफानों का मौसम है ..
कुछ थमने की भी बात करो .....sach hai jindagi me kuch samay rukna jaruri hai..aakhir ham dharti par aaye kyun hain..bahut he acchi rachna..sadar badhayee aaur amantran kesath
behad khoobsurat ehsaas....
ReplyDeletenamste Anupmaji, sarvda anupam he aapki rachnayen jab bhi padho aek nya bha samjha jati haen aap..
ReplyDeleteचलते चलते इन राहों पर..
ReplyDeleteकुछ रुकने की भी बात करो ......!!!!
बहुत सुंदर रचना ...
ज़बरदस्त भावों से लबरेज़.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव... सुंदर रचना ...
ReplyDelete…………(¯`O´¯)
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My greetings from France! After visiting your blog, I could not leave without putting a comment.
I congratulate you on your blog!
Maybe I would have the opportunity to welcome you on mine too!
My blog is in french, but on the right is the Google translator!
good day
cordially
Chris
http://sweetmelody87.blogspot.com/
MERRY CHRISTMAS TO YOU AND YOUR FAMILY
http://joyeux-noel-sweetmelody.blogspot.com/
ख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
चित्र और भाव दोनों एकदूसरे को सार्थकता देते से...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण , बहुत ही सुन्दर...
तूफानों के मौसम में थमकर प्यार भरी बातें करना .. आह ..रोमांच से भरती हुई रचना के लिए बहुत -बहुत बधाई..
ReplyDeleteआपसभी का आभार .....कुछ मुस्काने की बात करो ...पसंद करने के लिए ...एक पल को भी अगर हम मुस्कराहट बाँट सकें ..जीवन सफल हो जायेगा ....
ReplyDeleteप्रभु आशीष मिल जायेगा ....!!
पुनश्च आभार ...!!
आओ कुछ गाठें खोल भी दें ...
ReplyDeleteकुछ मन की बातें बोल भी लें ..
कुछ दिनों से लैपटॉप और नेट की समस्या के कारण
बहुत सी पोस्ट् पढ़ने से रह गयीं.संगीता जी की
हलचल से इस पोस्ट पर आने का मौका मिला.
आपकी सुन्दर बातें मार्गदर्शक और प्रेरणादायी हैं.
मेरी किसी भी बात का आपको बुरा लगा हो तो क्षमा
चाहता हूँ.
मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२' पर आप नही आ
पा रही हैं,यदि इसका कारण मेरे से हुई कोई गल्ती
हो तो कृपया माफ कीजियेगा.मैंने महीने में बस एक ही
पोस्ट लिखने की सोचा है.उसपर भी यदि आप जैसे नियमित
और सुधिजन पाठक न आ पायें तो मैं लिखना बंद करना ही
श्रेयकर समझूंगा.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
bahut khoobsoorat abhivyakti...
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