सर्वप्रथम ...अपनी सौ वीं पोस्ट पर प्रभु का आशीष चाहती हूँ ...
बंसी धुन मन मोह लई..
सुध-बुध मोरी बिसर गई ...
राह कठिन कान्हां.....
तुम बंसी नाहीं बजाओ ...
मग रोकत मोरी सास ननद ...
तुम काहे मोहे सताओ ...
डगर चलत अब बेर भई ...
बंसी धुन कित टेर रही ...
नटखट श्यामा ...
मन अभिरामा...
छल कीन लियो ...
मन मोह लियो ...
मैं राह भटक ...
सखी गयी री अटक ...
जल की मटकी ...
अंसुअन से भरूँ..
हृद की पीड़ा ..
मैं कैसे सहूँ ..?
अब कासे कहूँ री आली ...?
अब कौन सुने री मोरी ...?
तुम मान भी लो ....
छल छांड भी दो ..
बिनती सुनलो मोरी ...
लो हाथ पकड़ मेरा ...
गरवा मोहे लगाओ ..
ओ श्यामा ...
भव सागर पार कराओ... ...!!!!!!
बंसी धुन मन मोह लई..
सुध-बुध मोरी बिसर गई ...
राह कठिन कान्हां.....
तुम बंसी नाहीं बजाओ ...
मग रोकत मोरी सास ननद ...
तुम काहे मोहे सताओ ...
डगर चलत अब बेर भई ...
बंसी धुन कित टेर रही ...
नटखट श्यामा ...
मन अभिरामा...
छल कीन लियो ...
मन मोह लियो ...
मैं राह भटक ...
सखी गयी री अटक ...
जल की मटकी ...
अंसुअन से भरूँ..
हृद की पीड़ा ..
मैं कैसे सहूँ ..?
अब कासे कहूँ री आली ...?
अब कौन सुने री मोरी ...?
तुम मान भी लो ....
छल छांड भी दो ..
बिनती सुनलो मोरी ...
लो हाथ पकड़ मेरा ...
गरवा मोहे लगाओ ..
ओ श्यामा ...
भव सागर पार कराओ... ...!!!!!!
Anupam ji...
ReplyDeleteWah...bahut hi madhur bhav...adhyatmic...chhandatmak...
Deepak Shukla...
Anupama ji...
ReplyDeleteJo chhod ke maya sath hua..
Wo sath rahe, wo sang chale..
venu-dhun main apni usko..
Ve mugdh kiye, ve bandh chale...
Jag trushna, kitni hi hain par..
Uski trushna ka ant nahi...
Wo bhagwat hai, wo shaswat hai
ye dhyan rahe, sangyaan rahe..
Arpan kar baitha jo khud ko..
Bhav sagar uska paar kare..
Jag mithya, jagat pralobhan sa..
Har pal kshan uska saath rahe...
Jo karya karen, uska maane..
Bas uska har pal dhyaan rahe..
Jo dhyan dharen, wo dhyan rahe..
Saanson se uski jaan rahe...
Sauvin post par hardik shubhkamnayen...
Deepak Shukla..
अनुपमा जी ! सौ वीं पोस्ट केलिए बहुत =बहुत बधाई..हृदय से जो विनती की है भव सागर पार , पक्का समझो...
ReplyDeleteमन को बहुत सुकून देती रचना.....
ReplyDeleteसर्वप्रथम सौ पोस्टों की सफलतापूर्वक यात्रा पूरी करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteरचना के भाव मन को हरते हैं।
सौ पोस्टों की सफलतापूर्वक यात्रा पूरी करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत उम्दा!
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की शुभकामनाएँ!
सौ वीं पोस्ट बहुत-बहुत मुबारक हो!
ReplyDeletesabse pahle to apki 100v post par bahut bahut badhayi.
ReplyDeleteaur ye geet sun kar aanand aa gaya.
सौंवी पोस्ट और इतने सुन्दर गीत के साथ ... बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteप्रेम और भक्ति का सुन्दर समन्वय-मधुर गीत !
ReplyDeleteआपको ढेरों बधाईयाँ, कान्हा ख्याल रखेंगे।
ReplyDeleteसौंवी पोस्ट के लिए बधाई और भगवान की कृपा तो आप पर है ही तभी इतनी सुन्द्त रचना का सृजन संभव है |
ReplyDeleteआपकी शतकीय पोस्ट को निश्चित ही प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त है...!
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की बधाई .. सुंदर भाव लिए रचना
ReplyDeleteमन भावन कविता...
ReplyDelete१०० वीं पोस्ट की बधाई...आंकड़ा जल्द ही १००० पहुंचे.
शुभकामना.
क्या कहने,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आपकी १००वी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteआशा
सेंचुरी लगाने के लिए बहुत-बहुत बधाई..... !!!!
ReplyDeleteअंसुअन से भरूँ ,हृद की पीड़ा.... !
मैं कैसे सहूँ.... ? अब कासे कहूँ री आली ...?
अद्भुत अभिव्यक्ति.... उत्तम रचना.... !!
बिनती सुनलो मोरी ...
ReplyDeleteलो हाथ पकड़ मेरा ...
गरवा मोहे लगाओ ..
ओ श्यामा ...
भव सागर पार कराओ...
- बहुत सुन्दर रचना
सचिन से पहले शतक पूरा करने के लिए बधाई .
अभी तो आपको सौं वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteफिर आता हूँ.
सौवीं पोस्ट की बधाई ... श्याम के रंग में रंगी सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही मनभावन पोस्ट!
ReplyDeleteपोस्टों के शतक के लिए बहुत बहुत बधाई!
सादर
बंसी धुन मन मोह लई..
ReplyDeleteसुध-बुध मोरी बिसर गई ...
राह कठिन कान्हां.....
तुम बंसी नाहीं बजाओ ...
मग रोकत मोरी सास ननद ...
तुम काहे मोहे सताओ
bahut sundar Anupama ji ... abhar
अनुपमा जी भव तो वही पार लगाते है और लगा भी रहें हैं हमारा काम है केवल प्रार्थना का सही काम करना . आपको सौवी पोस्ट के लिए बधाई..
ReplyDeleteHeartly congratulation for centuri.
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की शुभकामनाएं………भक्ति रस से ओत प्रोत रचना।
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 12-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteभक्तिभाव से भरी सौवीं रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की बधाई .. सुंदर भाव लिए खूबसूरत रचना|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर........बधाई हो |
ReplyDeleteअनुपमा जी, शतक लगाने पर बधाई! कान्हा से की गयी मनुहार बहुत मधुर है वह तो रीझ ही जायेंगे और फिर आपके मधुर स्वर में जब यह प्रार्थना होगी तब सोने पर सुहागा...
ReplyDeleteतुम मान भी लो ....
ReplyDeleteछल छांड भी दो ..
बिनती सुनलो मोरी ...
लो हाथ पकड़ मेरा ...
गरवा मोहे लगाओ ..
ओ श्यामा ...
भव सागर पार कराओ... ...!!!!!!
आपकी भक्ति रस से परिपूर्ण सौं वीं पोस्ट को हृदय से नमन.
आपके पवित्र हृदय की करूण पुकार दिल को छू रही है.
Congratulations!!! :)
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सुसज्जित लाजवाब रचना लिखा है आपने !बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
१०० वी पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
मेरी नई पोस्ट में
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लु भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूब रहा है, नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें थे तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
आपका इंतजार है
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आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 15 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... सपनों से है प्यार मुझे . .
behtreen abhivaykti.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी अनमोल राय की अपेक्षा करती है हमारी यह पोस्ट-
‘‘क्या अन्ना हजारे द्वारा संचालित भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन की प्रक्रिया और कार्यपद्धति लोकतन्त्र के लिए एक चुनौती है?’’
१०० वी पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.......
ReplyDeleteकान्हा का सुंदर मनुहार,१०० वीं पोस्ट की बधाई,...
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट केलिए काव्यान्जलि मे click करे
aapki muskaan ki tarah hi pyari hai aapki rachna :) badhai :)
ReplyDeleteह्रदय से आभार ...आप सभी का ...सुकृती पर शुभकामनाओं की वर्षा के लिए ....!!
ReplyDeleteपाठक का ह्रदय विशाल होता है ....!उम्मीद है मेरी गलतियाँ क्षमा करेंगे आप और इस सफ़र में मेरा मार्ग दर्शन करते रहेंगे ...