एकत्रित कर ..
स्मृति के सुमधुर क्षणों को ...
बीन- बीन बटोर लायी हूँ ...
सूखे सूखे पुष्पों को ..
तोड़-तोड़ पंखुड़ी......
लबालब भर ली ....
बांस की टोकरी...!!
यादों के सूखे फूल...
और ये लबालब भरी ...
बांस की टोकरी ...
अहा ...सुगंध से भर गया ...
मन घर आँगन ...!!
और ....
हर्ष से भर गया है जीवन ...
कितनी शक्ति है ..
इन सूखे हुए पुष्पों में भी ...
सूख कर भी महकाते हैं ....
चितवन ....
चमक जाते हैं नयन ...!!
उठा कर जहाँ भी रख दूँ..
ये बांस की टोकरी .....
स्मृति के सुमधुर क्षणों को ...
बीन- बीन बटोर लायी हूँ ...
सूखे सूखे पुष्पों को ..
तोड़-तोड़ पंखुड़ी......
लबालब भर ली ....
बांस की टोकरी...!!
यादों के सूखे फूल...
और ये लबालब भरी ...
बांस की टोकरी ...
अहा ...सुगंध से भर गया ...
मन घर आँगन ...!!
और ....
कितनी शक्ति है ..
सूख कर भी महकाते हैं ....
चितवन ....
ये बांस की टोकरी .....
खुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन ....!!
ये टोकड़ी सदा ही भरी रहे..लबालब!
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित,
सादर
फूलों का सुवासित सानिंध्य और सुवासित भावनाएं ...
ReplyDeleteकाश, बाँस की टोकरी सदा ही लबालब भरी रहे, मधुर स्मृतियों से।
ReplyDeleteये बांस की टोकरी .....
ReplyDeleteखुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन !!
........बहुत सच कहा है बेहतरीन प्रस्तुति...आभार
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
ऐसी बांस की टोकरी...और सूखे फूल और पंख्ररियाँ शायद सब के पास होतीं हैं ना???
ReplyDeleteसुंदर भाव अनुपमा जी.
सस्नेह.
जी खुशबू यहाँ तक आ रही है...:-)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...सुकून भरा आभास कराती
अत्यंत सुन्दर रचना...:-)
अतीत की महक और बीते पलों के रंगों से भरी हुई बांस की टोकरी..अति सुन्दर!!
ReplyDeleteखुशबू हूँ मैं फूल नही हूँ जो मुरझाऊंगा....
ReplyDeleteजब जब मौसम लहराएगा, मैं आ जाऊंगा...
यही हैं यादें.... सुंदर रचना....
सादर।
ये बांस की टोकरी .....
ReplyDeleteखुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन ....!!
मन मोहक सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
सार्थक बिंब है, सूखे फूल और बांस की टोकरी!! सारगर्भित अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteनिरामिष: शाकाहार संकल्प और पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण दिवस पर विशेष)
सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत सारगर्भित यादों की टॊकरी .......सुन्दर अभिव्यक्ति..अनुपमा जी
ReplyDeleteबड़े काम की है जी यह बांस की टोकरी ... :)
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - दुनिया मे रहना है तो ध्यान धरो प्यारे ... ब्लॉग बुलेटिन
बस यही कामना है कि इसकी यही उपयोगिता बची रहे, बनी रहे।
ReplyDeleteकितनी शक्ति है ..
ReplyDeleteइन सूखे हुए पुष्पों में भी ...
सूख कर भी महकाते हैं ....
चितवन ....
चमक जाते हैं नयन ...!!
उठा कर जहाँ भी रख दूँ..
क्या खूब लिखा है आपने ....
अति सुंदर खुशबू बिखेरती हुई रचना ...
बधाई !!
कितनी शक्ति है ..
ReplyDeleteइन सूखे हुए पुष्पों में भी ...
सूख कर भी महकाते हैं ....
चितवन ....
गहरी बात....उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
मिठास का बोध तो अपना ही होता है। वह बचा रहे,तो पुष्पहीन वृक्ष भी सुगंधित महसूस होता है।
ReplyDeleteबेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteसाधु-साधु
ReplyDeleteउम्दा
अति सुन्दर!!
ReplyDeleteखूबसूरत यादों की टोकरी , सूखे फूलों से सजकर भी खूबसूरत ही रही !
ReplyDeleteमीठी सी लगी !
:) :)
ReplyDeleteस्मृतियाँ .........कितना बड़ा योगदान होता है जीवन में इनका ......सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletekhubsurat tokri... sugandhit bhi:)
ReplyDeleteजीवन रुपी बांस की टोकरी और महकती यादें ...बस सुरभित रखें जीवन
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
ये बांस की टोकरी .....
ReplyDeleteखुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन ....!!
...
पुष्पों की तारीफ करूँ या उन पुष्पों को चुनने वाले की
प्रणाम दी !
बहुत सुंदर भाव...स्मृतियाँ खुशबू से भर दें इसका अर्थ है अतीत मधुर था..वर्तमान मधुर हो ही गया इसका अर्थ है भावी भी सुखमय है...बोध कराती सुंदर कविता !
ReplyDeletebehtreen rachna ..............
ReplyDeleteयादों के सूखे फूल...
ReplyDeleteऔर ये लबालब भरी ...
बांस की टोकरी ...
अहा ...खुशबू से आच्छादित ...
मन घर आँगन ...!!
....यादों से भरी खुश्बू फैलाती टोकरी...और क्या चाहिए जीवन में..बहुत सुन्दर रचना...
बेहद खुबसूरत रचना
ReplyDeleteअरुन =arunsblog.in
मनभावन रचना, बधाई.
ReplyDeleteयादों के सूखे फूल...
ReplyDeleteऔर ये लबालब भरी ...
बांस की टोकरी ...
अहा ...खुशबू से आच्छादित ...
मन घर आँगन ...!!
हर्ष से भर गया है जीवन ...
Very impressive.
.
अहा! बांस की टोकरी और सूखे फूलों में जीवन्तता की तलाश करती सार्थक रचना अनुपमा जी - खुद का यह शेर याद आया -
ReplyDeleteकरते हैं श्रृंगार ईश का समय से पहले तोड़ सुमन
जो सड़कर बदबू फैलाए मुझको बहुत अखरता है
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
bahut hi badhiya prastuti
ReplyDeletewaqi jivan ko aanad se bharna hai sukh -dukh dono ko hi barabar samjhna hoga .
tabhi to jivan yun hi mahkta rahega baans ki tokari v sukhe pushhpon ki tarah
bahut hi prerak ----
poonam
बांस की टोकरी बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteलाजवाब । मेर नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुखद स्मृतियाँ वर्तमान को भी आनद दायक बनाती है . मनभावन कविता
ReplyDeleteयादों के सूखे फूल...
ReplyDeleteऔर ये लबालब भरी ...
बांस की टोकरी ...
अहा ...खुशबू से आच्छादित ...
मन घर आँगन ...!!
अति उत्तम बहुत ही सुन्दर आपकी लेखनी का जवाब नहीं
आपका बहुत बहुत अभिनन्दन अप मेरे ब्लॉग पे आये और अपने मेरा होसला बढाया
बांस की टोकरी ....लबा-लब एहसासों से भरी ....
ReplyDeleteबांस की टोकरी बहुत ही महत्वपूर्ण है उसके बाद इसकी खुशबू ! सौन्दर्यमयी भावपूर्ण कविता !
ReplyDeleteकितनी शक्ति है ..
ReplyDeleteइन सूखे हुए पुष्पों में भी ...
सूख कर भी महकाते हैं ....
चितवन ....
चमक जाते हैं नयन ...!!
उठा कर जहाँ भी रख दूँ..
खुबसूरत पंक्तियाँ
सुंदर अभिव्यक्ति........हर्षित जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं,
ReplyDeleteआप सभी गुणी जनों का ह्रिदय से आभार ...आपने बांस की टोकरी पसंद की ....!!
ReplyDeleteये बांस की टोकरी .....
ReplyDeleteखुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन ....!!
बहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति .फूलों का होना अपने आप में एक खूब सूरती है कुछ व्यक्तियों की उपस्तिथि भी माहौल को सौन्दर्य दे जाती है .
ReplyDeleteजैसे ये -
ये बांस की टोकरी .....
खुशबू से भर भर देती है ... ...
मन घर आँगन ....!!
बाँस की टोकरी पंखुड़ियों से भर ली और मन सुगंध से भर गया. सुंदर अहसास की रचना.
ReplyDeleteखुशबू से आच्छादित हो रहा है मन और फिजायें..हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteवाह! सुन्दर मनभावन प्रस्तुति.
ReplyDeleteबांस टोकरी के सूखे फूलों की खुशबू
का अहसास हो रहा है.