नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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04 December, 2013

भेद अभेद ही रह जाये ...!!

विस्मृत नहीं होती छवि
पुनः प्रकाशवान रवि
एक स्मृति है
सुख की अनुभूति है ....!!
स्वप्न की पृष्ठभूमि में
प्रखर हुआ  जीवन ...!!
कनक प्रभात उदय हुई
कंचन   मन आरोचन .........!!

अतीत एक आशातीत  स्वप्न सा प्रतीत होता है

पीत कमल सा खिलता
निसर्ग की रग-रग  में रचा बसा
वो  शाश्वत प्रेम का सत्य
उत्स संजात(उत्पन्न) करता
अंतस भाव  सृजित  करता
प्रभाव तरंगित करता  है ..!!
.
तब शब्दों में  …
प्रकृति की प्रेम पातियाँ झर झर झरें
मन  ले उड़ान उड़े
जब स्वप्न कमल
प्रभास से पंखुड़ी-पंखुड़ी खिलें  ......!!

स्वप्न में खोयी सी
किस विध समझूँ
कौन समझाये
एक हिस्सा जीवन का
एक किस्सा मेरे मन का
स्वप्न जीवन है या
जीवन ही स्वप्न है
कौन बतलाए ....?
भेद अभेद ही रह  जाये ...!!

33 comments:

  1. तब शब्दों में किस्सा, कहानियाँ, कविता बुनते कई जीवन बीत जायेंगे..व भेद अभेद ही रह जाएगा.....असीम आनंद की अनुभूति कराती रचना..

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  2. बेहतरीन-
    शुभकामनायें आदरेया-

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  3. जीवन, स्वप्न और सुसुप्त, कैसा सम्बन्ध है इनमें।

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  4. सम्पूर्ण भेद-अभेद के बीच बस सुख की अनुभूति होती रहे..जैसा कि अभी आपको पढ़कर हो रहा है.. बहुत है..

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  5. बहुत सुंदर.....!!

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  6. एक हिस्सा जीवन का
    एक किस्सा मेरे मन का
    स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है
    कौन बतलाए ....?
    भेद अभेद ही रह जाये ...!!

    सच, कभी कभी जीवन स्वप्न सा जान पड़ता है और कभी खुली आँखों से भी स्वप्न झरने लगते हैं..कौन जाने सत्य क्या है...

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  7. बहुत ही सुन्दर और सुकोमल |

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  8. जीवन से जुड़ी ये कैसी उलझन ...? गहरी अभिव्यक्ति

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  9. पीत कमल सी कोमल पंक्तियाँ :)

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  10. स्वप्न विभेद के गूढ़ रहस्यों से हटकर कविता के रस में पग गए . बहुत सुन्दर दी..

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  11. स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है

    या स्वप्न सा जीवन है......
    बहुत सुन्दर...
    सस्नेह
    अनु

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  12. स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है
    कौन बतलाए ....?
    भेद अभेद ही रह जाये ...!! सचमुच यह भेद अभेद ही रह जाता है...बहुत ही सुंदर कोमल भाव अभिव्यक्ति...

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (07-12-2013) "याद आती है माँ" “चर्चामंच : चर्चा अंक - 1454” पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

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    Replies
    1. रचना चयन हेतु हृदय से आभार राजीव जी ....!!

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  14. स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है
    कौन बतलाए ....?
    भेद अभेद ही रह जाये ...!!
    ....बहुत गहन और सार्थक चिंतन...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  15. बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. इसी जिज्ञासा में जीवन बीत जाता है और ना जाने किस अभेद्य कवच में छिप यह भेद-अभेद हमें सतत उत्सुक बनाये रहता है. यूँ ही शब्द शीतल निर्झरणी बन बरसते रहे. असीम आनंद है यह कविता.

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  17. सचमुच यह भेद अभेद ही रह जाता है.

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  18. स्वप्न की पृष्ठभूमि में
    प्रखर हुआ जीवन ...!!
    कनक प्रभात उदय हुई
    कंचन मन आरोचन.. वाह बहुत ही उत्कृष्ट अनुभूति ..

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  19. अनुभूति के अभिनव सौपान लिए है यह रचना।

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  20. बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

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  21. बहुत ही सुंदर रचना,

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  22. स्वप्न में खोयी सी
    किस विध समझूँ
    कौन समझाये
    एक हिस्सा जीवन का
    एक किस्सा मेरे मन का
    स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है
    कौन बतलाए ....?
    भेद अभेद ही रह जाये ...!!

    बहुत गहरी बात...बहुत कोमल भाव...
    अतिसुंदर रचना ...

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  23. आप सभी का हृदय से आभार ....आपने इस रचना पर अपने सुविचार दिये ...!!स्नेह बनाए रहिएगा ...!!

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  24. जीवन तो अपनी गति से चलता है .... कभी कठोर यथार्थ लिए हुये तो कभी स्वप्न के हिंडोले में झूलते हुये .... भेद अभेद से परे बस चलना ही जीवन है .... भावपूर्ण रचना

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  25. सुन्दर प्रस्तुति...भावपूर्ण

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  26. बहुत ही सुंदर सार्थक सुकोमल रचना ! जिस दिन इस भेद अभेद का अंतर स्पष्ट हो जायेगा सारी गुत्थियां स्वयमेव हल हो जायेंगी ! तब तक दोनों की डोर को मुट्ठी में दबाये ही चलना होगा !

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  27. जीवन स्वप्न
    भेद अभेद
    यूँ जीवन स्वप्न नहीं मगर स्वप्न में जीवन हो सकता है !!
    रचना पढ़ हर्षित मन स्वप्न -सा !

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  28. 'स्वप्न जीवन है या
    जीवन ही स्वप्न है
    कौन बतलाए ....?
    भेद अभेद ही रह जाये'...........अति सुंदर
    प्रकृति का वर्णन सच में स्वप्न सा ही प्रतीत हो रहा है आपके शब्दों में

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  29. " प्रकृति की प्रेम पातियाँ "
    Beautiful!!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!