अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
लिए हुए ,
नयनाभिराम आकृति ,
संजोय हुए
शब्द शब्द प्रकृति ,
गढ़ते हुए
जीवन के रंगों की झांकी ,
कृशानु (अग्नि ) सादृश्य
ओजपूर्ण सम्पृक्ति
नित्य नवपंथ प्रदर्शक
अनुभूति का प्रतिमान ,
सरसिज के
रूप लावण्य सा द्युतिमान
साथ मेरे सदा सदा अभिनीत ,
मेरा मन मेरा पालनहार !!
अनुपमा त्रिपाठी
"सुकृति "
अजेय भास्कर की किरणों से ,
अनंत समय की वीथिका में ,
सहिष्णु धारा सा बहता जीवन ,
भोर से उदीप्त है स्नेह से प्रदीप्त है ,
रात्रि की नीरवता में गुनता है स्निग्धता
चन्द्र से झरती प्रगल्भ ज्योत्स्ना की
विमल विभा पाता ,विभुता सा लहलहाता !
व्योम से मुझ तक ऐश्वर्य से पुलकित,
स्निग्ध रात की कहानी कहता
मेरा मन ,हाँ …
ऐसे ही तो तुम्हें मुझसे जोड़ता है ,
नयनो से हृदय तक ,
तुम्हारी स्निग्ध शीतलता पाती मैं,
पुलक से आकण्ठ जब भर उठती हूँ ,
तब कहलाती हूँ तुम्हारी पुलकिता !!
" सुकृति "